यात्रा कई तरहें की हैवें है।जा जरुरी नाए है कि सबन की यात्रा धार्मिक या मौज-मस्ती वारी ही हैवेंं।अपने जीवन काल में आदमी कई तरांह की यात्रा करे हैं।आओ जा बिषा के वारे मेंं कछु जाने हैं-
१-धार्मिक यात्रा-धार्मिक यात्रा वा यात्रा हैवे जामें लोग-वाग धरम स्थल जैसे -मथुरा, विन्दावन,अयोध्या,काशी,बदरीनाथ,रामेश्वरम् की यात्रा करे हैं।यात्रा को सही स्वरूप जही हैवे है।जई को यात्रा कहवे करते।पुराने जमानन में संत-महात्मा जई प्रकार की यात्रा करवौ करतै।पुराने वख्त में साधन व सवारी न होवे के कारण यात्रा करवो कठिन मानो जाती।जो जना यात्रा करकै लौट कै आते तो सब गाँव वारे पैर छीते।
२-व्यापारिक यात्रा-जा यात्रा व्यापार बढ़ावे कूँ करतो करवे हैं।जा तरहां की यात्रा में व्यापारी अपनो माल लैवे जावे हैंं।जा यात्रा लेन-देन करवैं के लै करैं हैं।व्यापार कूँ बढा़वें,माल लैने,तगादा कूँँ ताईं यात्रा करै हैं।
३-शैक्षिक भ्रमण यात्रा-या यात्रा स्कूल के तरफ से आयोजित हेवै है।स्कूल अपने छात्र-छात्रनने साल में एक बार यात्रा करबें कूँ लै जावें हैं।जा यात्रा सभी बालक/बालिका सहयोग, समूह मेंं क्रिया कलाप करनो सीखे हैं।
३-शैक्षिक यात्रा-जा यात्रा शिक्षा प्राप्त करवे कूँ करैं हैं।छोरा-छोरी अपने नगर ते दूर दूसरे बड़े शहरन कूँ जैसे दिल्ली, कलकत्ता, कोटा,बंग्लौर पढ़वे कूँँ जावे हैं। शिक्षा प्राप्ति के पश्चात छोरा-छोरी नौकरी-चाकरी करौ करे हैं।जा तरह से जा यात्रा शैक्षिक यात्रा कहलावे है।
४-मनोरंजन यात्रा-जा यात्रा परवार के साथ,यार-दोस्तन के साथ मौज-मस्ती लैवे के ताईं करी जावै है।अपने परवार के साथ दूसरे शहर और दूसरे देश को जानवे,घूमने को मिले है।लाला-लाली भी दूसरे देश या दूसरे शहर की संस्कृति,रहन-सहन को जानें समझें हैं।आजकल विदेशों में घूमवे को चलन बढ़ गयो है।
अगर आपको जू लेख नैक ऊँ अच्छो लगो होए तो मोए फॉलौ कर लीजौ।
राधे राधे
राधा गुप्ता पटवारी
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