माँ का न आदि न अंत #Mothersday #Contest

माँ एक अक्षर का शब्द पर इसकी विशालता अनंत है।

Originally published in hi
Reactions 0
1411
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 11 May, 2020 | 1 min read

माँ,तुम मेरी जिन्दगी की आधार हो,
तुम ईश्वर की एक अनमोल कृति हो।
हम सब तेरे ही अहसानों तले दबे है,
जीवनभर न चुका पायें वो ऋण हैंं।

मैं तुम्हारी ही परछाईं हूँ अनुकृति हूँ,
तुम गुरु तो मैं एक शिष्य की भांति हूँँ।
मेरे चोट लगने से अनगिनत तुम रोई हो,
मेरी हर खुशी में तुम खिलखिलाई हो।

तुम कड़ी धूप में ठंडी छाया जैसी हो,
ऊपर से सख्त,अंदर से नम्र मलाई हो।
मेरी हर टेड़ी समस्या का समाधान हो,
मेरे हर उलझे सवालों का जबाव हो।

तुम ईश्वर का एक भेजा प्रतिरूप हो,
तुम भावों में मृदुल-सौम्य स्वभाव हो।
हर विपरीत परिस्थिति में खड़ी ढाल हो,
तुम अपने  बच्चों की पालनहार हो।

माँ,तुम शब्दों से,अर्थों से बाहर ही हो
तुम ज्ञानियों से ध्यानियों से श्रेष्ठ हो।
तुम इस मानव समाज की सृष्टिकर्ता हो।
तुम ईश्वर की समकक्ष रचना हो।।


0 likes

Published By

Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'

radhag764n

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.