यात्रा,घूमना,पर्यटन,सैर-सपाटा,घुमक्कड़ी के नाम से ही हम सभी के चेहरे खिल उठते हैंं।हों भी क्यों न,घूमने से जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है,मन तरोताजा हो जाता है।दूसरी संस्कृति को जानने का अवसर मिलता है।आज के व्यस्त जीवनशैली में व्यक्ति परिवार के साथ मनोरंजन चाहता है।कुछ देर भौग-दौड़,तनाव वाले जीवन से दूर प्रकृति में सुकून के पल बिताना चाहता है।दूसरे शहर या देश की संस्कृति,रहन-सहन,जीवनशैली, खान-पान के विषय में जिज्ञासु प्रवृत्ति रखता है।
प्रसिद्ध यात्रा साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन ने कहा है-"सैर कर गालिब जिन्दगानी कहाँ,जिन्दगानी रही गर तो जवानी कहाँ।"राहुल सांकृत्यायन इस विधा के उच्च कोटि के लेखक थे।उन्होंने अपने सभी लेख,साहित्य पर्यटन पर आधारित हैं।
मनुष्य आज से ही नहीं अपितु पुरातन काल से ही घुम्मकड़ प्रवृत्ति का रहा है।यद्यपि प्राचीन काल में यात्रा करना बहुत कठिन,दुर्गम,थकाऊ,बहुत समय लेनी वाली होती थी।आज की तरह सुगम साधन नहीं होते थे।एक व्यक्ति को यात्रा करते हुए बहुत दिन लगते थे।
वर्तमान समय में यात्रा सुगम,सरल,कम समय लेने वाली और सुविधाजनक हो गई है।पहले व्यक्ति एक देश से दूसरे देश जाने की कल्पना ही कर सकता था पर आज टूर पैकेज की मदद से विदेशों की यात्रा भी सुगमता से करता है।
यात्रा कई कारणों से की जाती है मसलन घूमने के लिए, छुट्टी बिताने के लिए,व्यवसायिक उद्देश्य से,पढ़ाई के उद्देश्य से,खोज के उद्देश्य से,जिज्ञासु प्रवृत्ति आदि।यात्रा कई प्रकार की हो सकती है जैसे धार्मिक, मनोरंजक,व्यवसायिक,नौकरी आदि।
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