पुराने समे यात्रन में चारों धामन की यात्रा बड़ी कठिन मानों करते।सब कहते काय-"जाने चारन धामन की यात्रा अपने जीवन में कर लई वाँकूँ सातों पीढ़ी तर हैंगी समझो",जे मानो जाओ करतो।सबते दुर्लभ यात्रा जई होती।चार धाम-
बदरीनाथ -उत्तर
जगन्नाथपुरी-पूर्व
द्वारिकापुरी-पश्चिम
रामेश्वरम-दक्षिण
बदरीनाथ उत्तर दिशा,द्वारिकापुरी पश्चिम दिशा,जगन्नाथपुरी पश्चिम और रामेश्वरम दक्षिण दिशा माऊँ हैं।चारों धाम ही विपरीत दिशान में हैं।उत्तर ते दक्षिण हजारन किलोमीटर दूर हैं वैसेई पूरब ते पच्छिम जानों कठिन होतो।पुराने वख्त यातायात के इत्ते साधन नाए होते।रेलगाड़ीउ कम चलती ह़ी।इत्तो पइसो भी लोगन के पास नाए होतो कि यात्रन में खर्च कर सकें।यात्रा करवे में ई कई दिना लग जायो करते।जा मारे चार धामन की यात्रा कठिन मानी जाओ करती।
चारों धाम भगवान विष्णु के अवतारन को समर्पित हैं।भक्ति काल में जे मानो जायो करतो जे चार धाम,चार युगन को प्रदर्शित करैं हैं जैसै-
बदरीनाथ-सतयुग,
रामेश्वरम-त्रेतायुग
द्वारिका-द्वापरयुग
जगन्नाथपुरी-कलयुग
मानी जायो करती।जा वजह ते भी चारों धामन को विशेष महत्त्व दियो जाए करे है।आज के समे भी जब यातायात के साधन में कोई कमी नाए है, जै यात्रा को बौत महत्व मानो जाए करे है।
आप सबन कूँ जे बृज भाषा में लिखो मैरो लेख कैसोलगो।नैकबत इयो।अच्छो लगो होए तो फॉलो न करवो भूलियो।
राधा गुप्ता
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