अधुरी जिन्दगी

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Purnimakartik
Purnimakartik 22 Jun, 2020 | 0 mins read

अधूरी ज़िन्दगी सी रह गयी, मेरी ज़िन्दगी |

सोचा था मैने ,बनाऊगी एक महल,

सपने सी रह गई मेरी ज़िन्दगी, अधूरी ज़िन्दगी ||


कहॉ रह गई किधर गई, भटक गई मेरी ज़िन्दगी, अधूरी ज़िन्दगी |

जीने की तमन्ना थी मुझे, बीच राह में छोड़ गए वो मुझे ,

रह गयी अधूरी मेरी ज़िन्दगी, अधूरी ज़िन्दगी ||


सपना साकार न हो सका ,गुनगुनाना भी छोड़ दिया,

जैसी की तैसी रह गई मेरी ज़िन्दगी, अधूरी ज़िन्दगी ||

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Comments

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  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    सुंदर रचना

  • ARUN SHUKLA Arjun · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत ही यथार्थ को परिपुष्ट करती लाजवाब रचना आदरणीया

  • indu inshail · 4 years ago last edited 4 years ago

    Very nice

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