ख़्वाहिश मेरी ..

ख़्वाहिश मेरी ..

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Priya Verma
Priya Verma 12 Jun, 2020 | 1 min read

ख़्वाहिश मेरी ..


बस इतनी ही तो है की 

जो मेरा है वो मेरा ही हो..


एक वफ़ा की उम्मीद ,

मौसम जैसी ना हो उसकी फ़ितरत ..


मासूम ना सही दिल का बुरा तो ना हो 

मंज़िल तक ना पहुँचा हो पर बीच मे थक कर बैठने का हुनर तो ना हो ...


जितना हो सच्चा हो,अपनो की पहचान हो 

दूसरों का अभिमान हो...


मै ये नहीं कहती की कोई भगवान हो,

बस इंसान के भेस मे भी इंसान हो...


उदासी के पलो मे साथ हो ,,

तो क्या हुआ जिस्मानी तौर पे दूर हो 

ख़्वाबों ख़यालों मे तो साथ हो..


थक हार के बैठ जाऊँ मैं तो ताने तो ना दे,

कर सकती हु मै इतना ही कह दे,

मेरे सपनो को उड़ान दे...


ख़्वाहिश मेरी ,,

बस इतनी ही तो हैं..

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Priya Verma

priyaverma

Comments

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  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    Welcome on paperwiff

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