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Krapanksha kadre
23 Aug, 2022
Bhart maa
15 अगस्त की बेला पर, वसुंधरा हर्ष आई थीl देखकर सजावट सारी, मन ही मन भरमlई थीl खोल उठी वह अंगारों से एक पल की चौथाईमें रक्त रंजित हो गई आंखें यादों की गहराई में 1857 की वह चिंगारी ना बच पाई थी लक्ष्मी बाई की अगुवाई में जब स्वतंत्रता की लहर आई थी स्पीकर आते गए धरती मां के रणबांकुरे अपने नाम से जाति का इतिहास के पन्नों में सारे एक से बढ़कर एक में कोई किसी का सा महीना था लक्ष्य एक था दुश्मन एक अंग्रेजों को भगाना ही था सुभाष आजाद की जैसे कई नौजवान आए एक ही जाति धर्म की धरती मां का कर्ज चुका है कई दशक के बाद हमने जब यह स्वतंत्रता भाई दुखी देखकर रक्तरंजित आंचल धरती मां सच्चाई थी सोच रही है बच्चे मेरे आज फिर परतंत्र हुए गुलामी की जंजीरों में नहीं पश्चिमी विचारों की पर आदि हुए सज गई सज के बारे स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे कल तिरंगे पर पैर भी जुड़ जाएंगे एक दिन का राशि पर बस यही सोचकर आएंगे देशभक्ति चरम पर होगी कल सब भूल जाएंगे क्या वाकई क्या वाकई इस विचारधारा से हम वसुधा के सपूत कहलाएंगे वसुधा के सपूत कहलाएंगे
Paperwiff
by priyankshakadre
23 Aug, 2022
Independence day
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