भ्रम

भ्रम के बिना भी नहीं और साथ ही नहीं

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AnveshaRathi
AnveshaRathi 08 Jan, 2023 | 1 min read

हर वह बात छलावा है, क्योंकि शब्दों का जाल बुनना हमें नहीं आता है।

हर वह शब्द जो किसी का विश्वास तोड़ दे हर वह बात जो किसी के अंतर्मन को तोड़ दें; हमें नहीं आता है ।

आज से ही नहीं यह हर युग में होता आया है, सत्ता के खातिर यहां अपनो जाल बिछाया है।

झूठा ही सही-2 अपनों से प्रेम का ढोंग रचाया है।

सच्चा ना था इसलिए ज्यादा समय ठहर ना पाया है, जैसे समुद्र किनारे खड़ा रेत का महल लहरों ने डुबाया है

जिद पर अड़े हैं धन दौलत के खातिर अपनों से ठाने हैं, सांसो का भरोसा नहीं, आने वाले किसी अनकही आहट का पता नहीं, साथ में कोई अपना नहीं, परिवार के नाम पर कोई नहीं ,फिर भी अडियल है साहब ना जाने किस भ्रम में जी रहे हैं।

ईश्वर में भक्ति नहीं हाथ में कोई शक्ति नहीं गुरूर बड़ा है साहब ढह जाएगा कब यह पता नहीं.........

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AnveshaRathi

priyankarathi

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