मेरी कविता
मुश्किल है बयां करना यह रिश्ता, नहीं समझा सकूंगी
अपना प्यार चंद शब्दों में, कभी गुस्से से; कभी नाराज होकर तो कभी ज्यादा बोल कर; तो कभी लड़ कर बयां कर देती हूं मैं अपना प्यार।मानती हूं कर देती हूं मैं अनगिनत गलतियाँ क्या करूं नहीं ठहर पाता मेरा दिल
क्योंकि दिल को भी चाहिए एक प्यारा सा दिल।
धन्यवाद करती हूं कभी-कभी सामने ना रहकर भी सदैव रहती है आप मेरे साथ,कभी एहसास में तो कभी बिताए हुए पलों में।
विश्वास दिलाती हूं मैं आपको आप सही करो या गलत आप से जुड़ी रहूंगी। वादा करती हूं मैं आपसे वादा करती हूं मैं आपसे जो रिश्ता आपने बुना है उसे समेटे रहूंगी मैं सलवटो में नहीं कढ़ाई की नींव में।
भगवान का दर्जा नहीं दूंगी आपको इंसान ही रहने दूंगी
और इंसान की तरह ही पूरा सम्मान दूंगी इस रिश्ते को।बिना सुने लाडो नहीं शुरू मेरा दिन । नहीं बिन आपक कुछ है मेरा अस्तित्व;
प्रेरणा, मार्गदर्शक, दोस्त बन के सदैव ताकत मेरी बनी रहती हैं आप;
1 दिन में बहुत मुश्किल है आप के बलिदानों को साझा करना इसलिए एक साथ रहने का वादा करती हूं ,मैं खुद को कभी बाधा बनने नहीं दूंगी आपके कर्तव्य पथ पर; मैं आपकी सारी बाधाओं को मिटाकर बनी रहूंगी मैं आपके साथ
धन्यवाद
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