डिजिटल दुनिया को लेकर मेरे अनुभव

डिजिटल दुनिया पर मेरे अनुभव

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AnveshaRathi
AnveshaRathi 29 May, 2022 | 1 min read

दिया उसने मेरी कला को निखारने का मौका, खोल दिया उसने आसमां कुछ अच्छा कर दिखाने का, जैसे मैं जुड़ गई हूं इंस्टाग्राम के माध्यम से आपसे, अपने अंदर के कवि को धीरे-धीरे लिखा रही हूं मैं,इसलिए कभी-कभी ना चाहते हुए भी कुछ लिखने को उत्सुक हो रही हूं मैं।

जब-जब पेपर् विफ टीवी लेकर आता है नये कांटेक्ट की थीम । खत्म कर दिया उसने वह डर जो लोगों से जुड़ने में मुझे होता था-2 मिलवा दिया उसने मेरे आत्मविश्वास से, जुड़वा दिया उसने अनेक किरदारों से।

पहचान करवा दी उसने शिक्षा की अनगिनत सुविधाओं से, जब आती है कोई परेशानी तो पूछ लेती हूं किसी ऐप से,

हां; जानती हूं मैं -2 कि सोशल मीडिया की उलझनों में फंस गई हूं मैं ,बना दी है मैंने अपनी लाइफ थोड़ी डिजिटल ।

कुछ नया सीखने के लिए कभी-कभी हो जाते हैं हम मोबाइल पर निर्भर ,जाने क्यों पकड़म पकड़ाई खेल रहे हैं इसको अपना दोस्त बना कर।

छूट गया है-2 सबके साथ बाहर जाकर बर्गर, चाट खाना,

बस घर पर बैठे प्लेस आर्डर का बटन दबा के सब आ जाना ।

सुनती हूं मैं मामा मम्मी से उनके बचपन के किस्से -2 जिसमें वह खेला करते थे साथ बैठ कैरम, पिट्ठू और कंचे।

अब हम खेला करते हैं लैपटॉप कंप्यूटर में वीडियो गेम अकेले बैठकर। नहीं देखे मैंने कभी चिट्ठी पत्री और दिवाली के वह कार्ड-2 जिन्हें हम सुना करते है दादी नानी से अनेक बार, अब सैनड का बटन दबाकर व्हाट्सएप फेसबुक से संदेश भेज देते हैं सात समुंदर पार।

नहीं सुनते अब हम दादी नानी से कहानी-2 क्योंकि अब आ गई है यूट्यूब नानी।

जाने क्यों हम डिजिटल दुनिया के पीछे घूम रहे हैं, जाने क्यों हम अपनी संस्कृति को अनदेखा कर रहे हैं, हमारे पास है दुनिया का वह खजाना जिन्हें हम यूं ही बर्बाद कर रहे हैं।।

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AnveshaRathi

priyankarathi

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