AnveshaRathi
AnveshaRathi 21 Sep, 2022
पानी सा मन
पाया तो निश्चल और साथ ही था; ना जाने कब द्वेष, कपट और छल से भर गया। निशान तो बहुत है हृदय पर घातों के,मानो पत्थर से टकराता हुआ पानी बहता चला जा रहा।

Paperwiff

by priyankarathi

21 Sep, 2022

पानी जैसा मन

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