सुखद अहसास

सुखद अहसास

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Priyanka Priyadarshini
Priyanka Priyadarshini 21 Nov, 2021 | 1 min read

जो बनकर आओ तुम बसंत के दूत 

पतझड़ बन जाए हरियाली, लगे अद्भूत

नयनों में उत्सव के भाव जगमगाएं

हम तुम संग-संग मधुर संगीत गुनगुनाएं

सूर्य की किरणों ने रूप कैसा दमकाया

किसलय को देखो सोने सा जगमगाया

नीले अंबर में श्वेत मेघों का होता बसेरा है

चित्रकार ने रंग जैसे मनभावन बिखेरा है

खटखटाकर हवा कहती मन के द्वार को

शीतलता जो मन-मंदिर में भर लें उमंग को

प्रफुल्लता से दिल में उल्लास है जगा ऐसा

तिमिर में दीये की रोशनी का महत्व हो जैसा

 प्रकाश और अंधेरे से परिचय संध्या कराती है

जिन्दगी निराशा-औ-आशा को संग लेकर चलती है

स्वानुभूति मैं भी करूँ अनुपम प्रकृति की तेरे संग

प्रेम की अनुभूति ज्यों कराते जैसे पाऊँ नया जीवन

इतराते पुष्पों की पंक्ति दर पंक्ति लुभाती है हृदय को

आनंद की लहर खुशियों से भर जाती है जीवन को

रजनी में चांद और तारों की महफ़िल जमती है

जीवन में इत्र-सी तेरी संगति असर कर जाती है

दिल से ✍?✍?

प्रियंका प्रियदर्शिनी

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