एक गांव म दो भाई रहिसे । बड़े भाई का नाम मोहन रहिसे और छोटे भाई का नाम लखन रहिसे।ओकर दाई -बाबा के मरे के बाद ,सारा जायदाद छोटे भाई लखन, अपन ह रखलिस,और एक ठोक खेत ल अपने बड़े भाई मोहन ल दे दिस। जैसे तैसे करके मोहन ह पैसा कमईसे और ओहा आगे बढ़ीसे ।थोकन दिन बाद, लखन के खेत दुर्घटना से आगी लग गे ।आगी लगे के बाद लखन और लखन के परवार के पास खाए बर काही नई रहीसे रात भर भूखे सूते रहीसे ।बिहान दिन ,बिहनियां मोहन ह दरवाजा बजाइसे । त ,ओकर भाई दरवाजा खोलिसे ।तहाने दरवाजा म ओकर भाई मोहन औऱ उसका परवार ख़ड़े रहिसे । भात साग धरके ।"चल भाई ! ,भात खाहु, खाना खाहु,तहन बूता करे बर जावो दोनों भाई। "त लखन ह बोलिसे "मोर खेत ह जल गे हे ।""मे काला कमाये ल जाहूँ? त मोहन कहिसे "मोर खेत म चल, दोनों भाई मिल के कमावों ।" लखन ले अपनी गलती का एहसास होइस, दोनों साथ में काम करना चालू करिस ओकर बाद दोनों झन आपस में प्रेम से रहने लगिस।
प्रियानी वर्मा
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Chattisgarhi
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