गप्पू हाथी और अप्प हाथी दूनो बाप बेटा बजार कुसियआर लेबर गी से ।लेकिन अप्पू हाथी ल पूक ला देखीसे त ज़िद करिसे 'बाबू मोला पूक देवा दे"। त गप्पू हाथी ,अप्पू हाथी से बोलिसे "नही बेटा ! पूक नई लेवन, कुसियार लेबो ,त ओमा हमर भूख मिटाहो "
त ओकर बेटा गुस्सा होगे त ,पुरे रद्दा भर , अपन बाबू संग नई गोठियाइसे।
अप्पू और गप्पू बजार ले आवत रहिसे त अँधियार होग,त चिखला मे गिरगे। उहि रद्दा मे भालू जात रिहिसे।भालू के नज़र हाथी ऊपर गी से त भालू गप्पू हाथी ल बोलिसे "अब में तोला और तोर बेटा ल कैसे निकालब भाई?
त अप्पू हाथी ह बोलीस"कैसे भी करके निकाल देना भाई।"
भालू ह कुसियार ल देखी से,त हाथी ल बोलिसे "की मै कुसियार ल देवत हो, त एक दहन ल मे धरत हों और एक दहन ल ते और तेरा बेटा ल धर।त मेहा तुमनला खिंच के निकाल लू हु।"
हाथी ह बाहिर आके बोलिसे "बहुत बहुत धन्यवाद भाई तोर ज हमनला निकाले हस चिकला ले ।"
अखिर म अप्पू हाथी कहत हे अपन बाबू ल "ते बने केहे हस बाबू की हमन पूक ल लेतेन त कैसे निकलतेंन ?
"कुसियार के सहारा मे निकल गेन।"
"हमर बडे बुजुर्गे मन ह सही बोलथे।"
प्रियानी वर्मा
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