शिकायत करें भी तो करें किससे, पूरी दुनिया ही बेईमान लगने लगी है।
मेरी बंजर सी जमीन में हरियाली ढूंढते ढूंढते अब मेरी शामे में यूं ही कहीं खोने लगी है ।
कैसे और किससे कहें हम?
की पुराने जख्म अब ताजा होने लगे हैं, जागते जागते कटती है पूरी रातें और उगते सूरज के साथ अब हम सोने लगे हैं।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
Thank you so much
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