दीपक

परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है।

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prem shanker
prem shanker 11 Dec, 2020 | 0 mins read
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हे दीपक! जलते रहना तू निरंतर।

हवाओं से डटना तू होकर निडर।

संसार के अंधेरे को मिटाना है तुझे,

जग में सोए हुए को जगाना है तुझे।

संघर्षों से लड़ना है रहना तू तत्पर।

हे दीपक! जलते रहना तू निरंतर।।



रवि के सामने अंधकार सब भागे।

जिनके होने से संसार सभी जागे।

हे दीपक! यही काम तुझे करना है,

मनुज में आत्मविश्वास तुझे भरना है

उजेश बिखरे तेरा होकर अब निर्झर।

हे दीपक! जलते रहना तू निरंतर।।


वचनों पर कायम हो अब नेता दल।

तू देश को नए नए संदेश देता चल।

सब अंधकार को जीतने की जिज्ञासा,

हार कर भी विजय की प्रबल आशा।

लड़ हवाओं से बना खुद को बेहतर।

हे दीपक! जलते रहना तू निरंतर।।

~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

आंवला बरेली उत्तर प्रदेश

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