prem shanker
prem shanker 07 Jul, 2020
सावन
ये महीना साल का कैसा पावन है। कहते हैं इसी को हम सब सावन है ।। हरियाली यहाँ झूम के खिल खिलाती है। बूंदें ओस की मोती जैसी झिलमिलाती हैं ।। धरा ओढ़ रही अब हरियाली की चादर। कर रह सब बहारें सावन का भाव ।। अंबर से बरस रही है मेघों की फुहार। गा बने रहे सब मिलकर गीत मल्हार ।। इस सावन में फूल खुशियों से फुले हैं। गाँव गाँव शहर शहर पड़ गए झूले हैं ।। ये झूलों पर झूलते सावन के गीत हैं। मिल रहे खुद से हम दिल में मीत है ।। अब रवि का भी समान गुस्सा नहीं है। शायद इंसान से वैसा विरोध नहीं है ।। क्षितिज में भी आकृतियाँ बनी विचित्र हैं। चारो ओर फैली हरियाली का यहाँ इत्र है ।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरूप

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premshanker द्वारा

07 Jul, 2020

Prem shanker

Comments

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  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    शायद देश को अपना साबिर हाका मिलने वाला है, शुभकामनाएं

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