कहानी कुछ ऐसी है मेरे दोस्त
तुम भी मेरे न हुए ,हमें भी अपना न होने दिया।हर आहट कुछ अपनापन सा अहसास करती है।फिर भी जाने क्यों लोग अपने कहा करते हैं।एक अपनेपन का अहसास या दबे हुए से अरमान क्या सचमे इतनी ही सी इच्छा है एक हमारी।
है औरत तेरी सिर्फ इतनी है है कहानी,आंखों में पानी फिर भी झूठी सी कहानी
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