अपनापन

Poetry

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Premmani
Premmani 13 Feb, 2021 | 0 mins read
#my_pen_my_strength #Poetry



चल आहिस्ता चल ,चल आहिस्ता।

इस राह में मिलेंगें तुझे अपनहि और भी गम

चल आहिस्ता चल, चल आहिस्ता चल।

ना कर गुमान अपनी खुमारी का,

अभी वक़्त भी है बाकी और अरमान भी

जलते हें दिल तो रोशनी नही होती,

अगर हौती तो आफताब भी गुलनाज़ हो गया होता

चल अहिसत चल ,चल आहिस्ता चल।


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