ख़ता

इश्क

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 15 Oct, 2020 | 1 min read

दुनियां मनाऊं तो तुम होते हो ख़फ़ा

तुम्हारी बनूं तो दुनियां होती है ख़फ़ा ।


आंखो में है नमी , सांसों में है धुआं

कभी ख़्वाब मेरा कोई पूरा ना हुआ ।


वो राहों में छोड़ कर चले दिए यूं

ना जाने क्या हुई मुझ से ऐसी ख़ता ।


हो गया ग़र प्यार मुझे तुमसे , ये तो दिल

जाने, इसमें मेरी तो नहीं कोई ख़ता ।


इतने संगदिल तो ना थे तुम फिर

क्यों ना जाने समझ सके मेरी जफ़ा ।


दिल के अरमान दिल में ही दफ़न हो गए

प्यार की ये कैसी मिली है हमें सज़ा ।


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Prem Bajaj

prembajaj1

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonnu Lamba · 4 years ago last edited 4 years ago

    वाह

  • Prem Bajaj · 4 years ago last edited 4 years ago

    जी शुक्रिया 🙏

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