हर पल है बनती - संवरती ज़िन्दगी
फिर भी हर पल लाज रखती ज़िन्दगी।
नित नए रूप दिखाती है ये हमें
चाहे तेरी हो या हो मेरी ज़िन्दगी ।
कभी दोस्त,कभी दुश्मन से परिचय कराए
कभी दु:ख तो कभी सुख देती ज़िन्दगी।।
कभी रूठते हम इससे , कभी मन जाते
हर पल दो-दो हाथ किया करती ज़िन्दगी ।
रूठने के बाद फिर से मनने के लिए
मौत से भी लड़ती -झगड़ती ज़िन्दगी ।
खिल जाएं बांछे मिलकर झूठ से लेकिन
सच के साथ- साथ मिल चलती ज़िन्दगी ।
कब समझी है *प्रेम* सारे फलसफे इसके
दास्तां मेरी अन्जान ये लिखती ज़िन्दगी ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
Thanku so much
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