आक्षी को फेसबुक पे रोहित नाम के लड़के से प्यार हो गया ।
रोहित ग़ैर जात था, दोनों के माता-पिता नहीं मानेंगे, इसलिए रोहित के कहने पर आक्षी घर से भाग कर रोहित के पास पहुंच गई।
रोहित ने धोखा दिया, उससे शादी ना करके उसे कोठे पर बेच दिया। आक्षी ने कोठेवाली से मिन्नतें की कि उसे छोड़ दें , उसे इस दलदल में ना धकेले, लेकिन कोठेवाली ने उसकी एक ना सुनी, और उसे एक कमरे में बंद कर दिया, आक्षी खिड़की से भाग गई और ट्रेन की पटरी पर लेट गई।
संजय वहां से निकला, उसे पटरी पर लेटा देखकर, "आप आत्महत्या क्यूं कर रही है ??
आक्षी सारी बात बताती है और कहती है, अब किस मुंह से घर जाउंगी ?
संजय उसे समझाता है कि उसे इस तरह के प्यार पर विश्वास नहीं करना चाहिए था, जो इन्सान चन्द दिन पहले मिला, उसके लिए मां- बाप को छोड़ देना बेवकूफी है ।
ऐसे फेसबुकिया प्यार कभी सच्चे नहीं होते, इन पर इतनी जल्दी विश्वास नहीं करना चाहिए ।
संजय आक्षी को घर छोड़ने जाता है, आक्षी के माता-पिता, बेटी को गले लगाते है, और संजय का शुक्रिया करते हैं "" थैंक्यू बेटा तुमने हमारी इज़्ज़त बचा ली। हमारी बेटी की जान बचाकर हम पर बहुत बड़ा एहसान किया है । और इस तरह उसे ढेर सारी दुआएं देते हैं ।
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