चांदनी रात

चांदनी रात

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 03 Oct, 2020 | 1 min read

एक तो रिमझिम बरसात उस पर कहर ढाती ये चांदनी रात

कटती नहीं अब बिन तुम्हारे, है मुझे जलाती ये चांदनी रात ।


वो छेड़ना मेरे बालों को लबों से चूमना मेरे गालों को

पुरानो ज़ख्मों को फिर से हरा करने क्यों आईं है ये चांदनी रात ।


खफ़ा - खफ़ा सा है यार मेरा चल दोनों मिल कर मनाएं उसे

ना हो किसी का प्यार खफ़ा , बहुत तड़पाती है ये चांदनी रात ।


हुस्न ना बिखेरे जलवे, इश्क ना लुटाए रंगिनियां जब तक

 तो भला किस के मन को लुभाती है ये चांदनी रात ।


ना रहो यूं खफ़ा मुझसे शबनम के कतरों सा बरसा दो प्यार मुझ पर

 ना हो दिलबर पहलु में *प्रेम* के तो नश्तर चुभाती है ये चांदनी रात ।

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Prem Bajaj

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