एक तो रिमझिम बरसात उस पर कहर ढाती ये चांदनी रात
कटती नहीं अब बिन तुम्हारे, है मुझे जलाती ये चांदनी रात ।
वो छेड़ना मेरे बालों को लबों से चूमना मेरे गालों को
पुरानो ज़ख्मों को फिर से हरा करने क्यों आईं है ये चांदनी रात ।
खफ़ा - खफ़ा सा है यार मेरा चल दोनों मिल कर मनाएं उसे
ना हो किसी का प्यार खफ़ा , बहुत तड़पाती है ये चांदनी रात ।
हुस्न ना बिखेरे जलवे, इश्क ना लुटाए रंगिनियां जब तक
तो भला किस के मन को लुभाती है ये चांदनी रात ।
ना रहो यूं खफ़ा मुझसे शबनम के कतरों सा बरसा दो प्यार मुझ पर
ना हो दिलबर पहलु में *प्रेम* के तो नश्तर चुभाती है ये चांदनी रात ।
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