सुबह-सुबह ही अनीता वर्मा की डोर बैल बजती है , वो ये सोचते हुए दरवाजा खोल रही है कि इतनी सुबह कौन हो सकता है , दूध वाला, पेपर वाला तो आकर चलिए गया , देखें कौन है , और दरवाजा खोलते ही सवी श्रीवास्तवा को देखकर हैरान हो कर सवी जी इतनी सुबह आप और घबराई हुई भी लग रही हैं , क्या बात है ।
अनीता जी मधु अरोड़ा ने सुसाइड कर लिया
ओह , लेकिन ये कैसे और कब हुआ ?? और उन्होंने ऐसा क्यों किया ?? उन्हें भला क्या परेशानी हो सकती है , अच्छी - खासी हाई - सोसायटी लाइफ थी ।
मालुम नहीं अनीता जी क्या हुआ , ये तो वहां चल कर पता चलेगा , मैं भी हैरान हूं ये सुन कर , हम जैसे मिडल क्लास वालों को सौ परेशानियां हो सकती हैं , लेकिन मधु जी का तो बहुत अच्छा रूतबा था , ख़ैर उनकी पक्की सहेली है राधा अग्रवाल , शायद उन्हें मालूम हो कुछ ।
हूं हूं चलिए चलते हैं , और दोनों मधु के घर की तरफ़ जा रही हैं तो रास्ते में ही राधा अग्रवाल मिलती है, भरे गले से हाए, हैलो होती है , मधु और राधा दोनों बहुत ही गहरी दोस्ती थी , दोनों अपना सब दिल का हाल एक दूजे से सांझा करती थी ।
अनीता -----राधा जी , मधु जी ने ये कदम क्यों उठाया ,आप तो मधु की पक्की सहेली थी , कभी आपसे कहा कुछ क्या , अभी दो दिन पहले ही तो देखा था , बड़ी ही सुंदर ड्रेस पहनी हुई थी , पार्टी पर जा रही थी , कितनी जच्च रही थी उन पर वो ड्रेस , अक्सर देखा है पार्टी में जाते हुए ।
आग लगे मुई ऐसी पार्टियों को , जो इन्सान को ही खा जाए ।
सवी -----ऐसा क्यों सोचती हैं आप , हाई सोसायटी की पार्टी तो सुना है बहुत रंगीन पार्टी होती है , सब लोग कितना एंज्वाय करते होंगे ??
सवी जी आप नहीं जानती ऐसी पार्टियों में क्या- क्या होता है , 6 महीने पहले वो गुप्ता जी के बेटे ने सुसाइड किया था इन्हीं पार्टियों की वजह से ही तो किया था , आजकल हाई सोसायटी में एक प्रथा सी चल पड़ी है , पति-पत्नी आपसी बोरियत दूर करने के लिए वाईफ़ स्वेपिंग का खेल खेलते हैं । पति-पत्नी दोनों ही रजामंदी से आपस में दोस्तों के साथ अपने पार्टनर को बदलकर हम बिस्तर होते हैं , इससे घिनौना और घटिया क्या हो सकता है । हमारी संस्कृति पर कलंक है ये ।
ओहो ऐसा क्या ??
कुछ दिन पहले ही मधु कह रही थी कि बस अब ऊब गई है वो इन पार्टियों से , पहले - पहल तो बड़े चाव से जाती थी , लेकिन ऊब गई थी अब वो इन पार्टियों से , आप नहीं जानती कैसा घिनौना खेल खेला जाता है इन पार्टियों में ।
कहीं पर ड्रा नाकालते है , और कहीं स्त्री की आंखों पर पट्टी बांध कर उससे एक गाड़ी की चाबी उठाने को कहा जाता है और कहीं ताश के पत्ते उलट कर रख दिए जाते हैं और हर स्त्री पुरुष एक- एक पत्ता उठाता है और जिसका पत्ता जिससे मैच कर जाए , वही जोड़े बना दिए जाते हैं अर्थात किसी की बीवी किसी और पुरुष के साथ रातभर हमबिस्तर होते हैं , और ये दोनों पति-पत्नी की रजामंदी से होता है , गुप्ता जी के बेटे ने भी अपने पेरेंट्स को देख लिया था इस तरह औरों के साथ , शर्म से आत्महत्या कर ली थी ,उस बेचारे ने ।
अनीता ---- हे राम , ये कैसी सोच है इन्सान की , आज के इन्सान भी जानवर ही बन गए हैं । कभी लोग जिस्मानी सुकुन के लिए पैसे देकर इन्सान को खरीदते हैं और कभी पैसे ना देकर अपनी ही पत्नि या पति को देते हैं बदले में ।
राधा --- हां सच में इन्सान और जानवर में कोई अन्तर नहीं रहा अब , मधु को भी तो इस बार कोई जानवर ही मिला , कल बता रही थी कि अगर अब फिर से ऐसी पार्टी पर जाना पड़ा तो अब नहीं जाऊंगी ।
इस बार जब ड्रा किया तो पार्टी में आफिस का एक नया जोड़ा आया था , और इसका मैच उससे हो गया , बहुत बुरी तरह से पूरी रात नोचा- खसोटा बदन को जो बर्दाश्त नहीं कर पाई मधु , और छोड़ दिया सब कुछ के साथ ये जहां भी ।
राधा रोए जा रही थी , अपनी सहेली के लिए और अनीता और सवी ये सुन कर अवाक सी रह गई , और सोचने लगी कि कैसी है ये आधुनिक सोच , इतनी घटिया क्यों है , कब होगा अन्त इस सोच का , क्या हिन्दुत्व को कलंकित होने से बचाने का कोई उपाय है । ये आधुनिक सोच भारतीय संस्कृति पर धब्बा है , इसे समाप्त करने के लिए कोई ना ठोस कदम उठाना ही होगा , तभी हम अपनी संस्कृति को सुरक्षित कर सकते हैं ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बिल्कुल सही बात कहीं आपने
बहुत सही
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