तुम बिन

मोहब्बत

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 03 Oct, 2020 | 1 min read

अकेले काटे नहीं कटती ये रातें तुम बिन

कैसे झेलूं ये सावन की बरसातें तुम बिन।


करवटें बदलती रहती हूं शब - भर

नहीं सुहाती ये चांदनी रातें तुम बिन ।


जीवन में मेरे ना कोई रंगिनियां रही

कोई रंग ना मुझको भाते तुम बिन ।


मेरी ज़िन्दगी के पूर्ण विराम हो तुम

आधे -अधूरे वाक्य बन जाते तुम बिन ।


सोचा था जी लेंगे हम बिन तेरे मगर

एक सांस भी तो नहीं ले पाते तुम बिन ।


तुम्हारी बेवफ़ाई ने तोड़ा है दिल मेरा ,

जीया नहीं जाता, मरते भी नहीं तुम बिन ।



जलाया दिल * प्रेम* का तुमने इस तरह कि

अब तो दिवाली परदिए नहीं जलाते तुम बिन ।

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Prem Bajaj

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