राम एक प्राइवेट बैंक में चपरासी की नौकरी, भरा-पूरा परिवार, पिता को लकवा मार गया, उनकी दवा- दारू, छोटी बहन कालिज पढ़ रही है, छोटे-छोटे दो बच्चे, गुज़ारा बहुत मुश्किल, रोज़ की परेशानी, घर में हर समय खिट- पिट।
एक दिन बीवी ने, "" क्यों ना इस समस्या का कोई हल निकाले, ऐसे कब तक चलेगा।
"" क्या करूं मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा भी नहीं, इससे अच्छी नौकरी भी तो नहीं मिल सकती।
" शाम को छुट्टी के बाद कहीं पार्ट टाइम जाब करले, और मैं थोड़ा- बहुत सिलाई का काम जानती हूं, वही शुरू कर लेती हूं। मां ने भी कहा कि "" पिता बीमार है कुछ नहीं कर सकते लेकिन मैं घर बैठे बहुत अच्छे पापड़ बना दूंगी।
"" ठीक है कोशिश करके देखते हैं।
छोटी बहन, "" भैया मैं भी आस-पड़ोस में कहकर छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी कालिज की फीस का इंतजाम कर लूंगी।
इस तरह राम मां को पापड़ का आर्डर लाकर देने लगा ।
अच्छा काम चल निकला, छोटी बहन ट्यूशन देने लगी, राम की बीवी आस-पड़ोस के कपड़े सिलने शूरू कर दिए।
इस तरह जब सब मिलकर एक होकर काम करने लगे, कमाई भी बढी़ और इससे घर में खुशहाली आगई।
तभी तो कहते हैं एकता में बहुत शक्ति है ।
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