गज़ल

वक्त

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 15 Oct, 2020 | 1 min read

ए वक्त ज़रा ठहर जाने को क्यूं बेकरार हुआ जाता है

आएगा मुझसे मिलने जिसके दिल से मेरा नाता है ।


हो गया है प्यार मुझे उनसे इसलिए बेताब हूं मैं

प्यार में ही तो इन्सान दिल की बाज़ी लगाता है ।


हार बैठा हूं सब कुछ अपना मोहब्बत में उनकी

 मोहब्बत में हार कर ही तो जीता जाता है ।


ना कोइ शिकवा-शिकायत , ना ही गिला किया

क्यों कि प्यार में तो हर कोई दर्द ही पाता है ।


आ जाओ अब तो सनम दमें-आखिर आ चुका

* प्रेम *का तुम बिन अकेले दिलबहुत घबराता है ।


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Prem Bajaj

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