आज सीता आफिस जाते हुए कल की बातें याद करके बहुत खुश है ।
कल उसके आफिस की छुट्टी थी , तो ससुराल से अनुमति लेकर , मां और छोटी बहन को मिलने गई तो वहां का दृश्य देख कर हैरान रह गई ।
अरे सीता दी बहुत दिनों बाद आई इस बार ।
हां गीता आफिस और घर में समय नहीं रहता , मां और तुम्हारी चिंता हर पल रहती है , जब तक पापा थे तो कोई चिंता नहीं थी ।
दीदी अब हमारी चिंता ना करें , मैंने पार्ट टाइम जाॅब कर ली है और मां को भी क्मप्यूटर सिखा दिया है ,
ताकि मां का आचार, पापाड़ इत्यादि का काम आनलाइन शुरू करा दूं ।
आप अपनी व्यवस्ता के कारण नहीं आ सकती , कल को जब मेरी भी शादी हो जाएगी तो हम दोनों अपने परिवार में व्यस्त होंगे मां का कौन सहारा होगा ।
मां को किसी के सामने हाथ ना फैलाना पड़े इसलिए हमें मां को परावलम्बी नहीं स्वावलम्बी बनाना है ।
वाह मेरी बहन ये तुमने बहुत अच्छा किया , तुम दोनों ही स्वावलम्बी हो गए, अब तो मैं तुम दोनों की तरफ चिंतामुक्त हो गई ।
Comments
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बहुत सही समझाया आपने
जी शुक्रिया
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