अशोक चावला , चावला इंडस्ट्री छोटी सी कोल्डड्रिंक फैक्ट्री है , इकलौता बेटा तरूण चावला , होनहार , आज्ञाकारी , मा- पापा की आंखों का तारा ।
दिवाली का दिन शहर में खूब धुमधाम है , सब ओर पटाखों का शोर , हर तरफ दिवाली की बहार है । तरूण अपने घर पर मां - पापा संग पूजा कर रहा है कि उसके दोस्त का फोन आया ।
""हैलो , हां सचिन इस वक्त कैसे फोन किया "
सचिन ... "यार हम दो तीन दोस्त मिल कर सोच रहे हैं एक गैट- टुगेदर करले दिवाली पर , तो तुम भी आ जाओ !
" नहीं यार मां - पापा अकेले हो जाते हैं , तुम्हें पता है मैं हर त्योहार उन्हीं के साथ मनाता हूं , साॅरी यार तुम सब इंजाय करो ।
लेकिन तरूण के मां- पापा उसे दोस्तों के साथ इंजाय करने के लिए जबरदस्ती भेज देते हैं कि यही उम्र है थोड़ा कभी दोस्तों के साथ भी घूम लिया करो । और वो मां- पापा के बार- बार कहने पर चला जाता है ।
रात के ग्यारह बजे का समय वो सचिन के घर जा रहा है और जिस रास्ते से वो जाता था आज वो रास्ता सड़क टूटने की वजह से बंद है और वो घूमकर दूसरे रास्ते से जाता है , जहां बहुत सी झुगी - झोंपड़ी बनी हुई हैं , जैसे वो उधर से जा रहा है , उसे कुछ चीख सुनाई देती है , वो अचानक इस समय किसी की चीख सुन कर उस ओर मुड़ जाता है तो क्या देखता है एक झोंपड़ी में एक लड़की के साथ एक अधेड़ उम्र का मोटा सा आदमी ,जो देखने में कोई सेठ जैसा लग रहा था जबरदस्ती कर रहा था , वो बार-बार उसे खींच कर बिस्तर पर ले जाता और वो लड़की हाथ जोड़ कर उससे यही कह रही थी कि उसे छोड़ दें रहम करे उस पर , लेकिन सेठ कह रहा था उसके चाचा ने पैसे लिए हैं , वो तो वसूल कर के रहेगा ।
तरूण झोंपड़ी में जाता है और उस लड़की को छुड़ाता है , लेकिन सेठ कहता है ...." इसके चाचा ने मुझसे बहुत बड़ी रकम ली है इसके बदले में , वो कैसे छोड़ सकता है ?
वो लड़की ( कमला ) बताती है कि एक साल पहले उसके माता - पिता गांव में बाढ़ में बह गए चाचा ने उसे बचा लिया था , तबसे वो चाचा के साथ रहती है , और इस समय चाचा-चाची बाहर घूमने की बात कह कर गए हैं और ये सेठ आ गया और मेरी इज्जत लुटने की कोशिश कर रहा है । इतने में कमला के चाचा - चाची भी आ गए तरूण उन्हें बहुत बुरा भला कहता है , कमला के चाचा कहते हैं .. " अगर इतना ही प्यार आ रहा है तो सेठ के पैसे लौटा दो और ले जाओ इसको ।
तरूण सेठ को अपना नाम-पता बता देता है और अगले दिन फैक्ट्री से पैसे लेने को कह कर कमला को साथ ले अपने घर की ओर मुड़ जाता है ।
मां ... "अरे , तरूण ये क्या अकेला गया था दुकेला हो के आया , रूक तो मैं पहले आरती की थाली तो ले आऊं ।
"" रूकिए मां , आप जो समझ रही है वैसा नहीं है , मां ये कमला है अर्थात लक्ष्मी आज दिवाली के दिन इश्वर ने मुझे बहन के रूप में लक्ष्मी दी है , और वो मां को सारी बात बताता है ।
"" बहुत अच्छा किया बेटा । धन्य है मां , आज सचमुच दिवाली पर हमारे घर मां लक्ष्मी आई है ।
इतने में तरूण के दोस्त सचिन का फोन आता है ।
" तरूण क्या हुआ , तुने तो कहा था कि तु आ रहा है , कहां रह गया , हम तेरा इंतज़ार कर रहे हैं ।"
"" साॅरी यार मैं आ रहा था , कि मुझे बहन के रूप में मां लक्ष्मी स्वयं मिल गई और मैं घर वापिस आ गया ।
आज तो मेरी दिवाली बहुत अच्छी मनी ।""
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
सुंदर कहानी
जी शुक्रिया 🙏
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