तुम्हें पाने की बंदिश है

प्यार

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 03 Oct, 2020 | 1 min read


तड़प रहे हैं तेरे इश्क में मगर तुम्हें पाने की बन्दिश है

ज़ज़्बे - पिनाह किसे दिखाएं , दिखाने की बन्दिश है ।


जाते- जाते छोड़ जाएं कोई निशानी प्यार की हम

मग़र मजबूर हैं हम नक्शपां बनाने की बन्दिश है ।


छुप - छुप कर आते हो सपनों में मेरे मिलने के लिए

ना आना उजाले में , सुकुते - सुबह में आने की बन्दिश है ।


यूं ना सरेआम घूमा करो जाने - जाना , रहा करो पर्दे में

 क्योंकि सरेआम एहदे- शबाब दिखाने की बन्दिश है ।


राहें - शौक है इक आग का दरिया , रखना धीरे से कदम

इसमें , जुनूं की हद तक *प्रेम * को जाने की बन्दिश है ।

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Prem Bajaj

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