अरे सुमति सुनो , जल्दी-जल्दी सब तैयारी करो , आज दुर्गा अष्टमी है , तो कंजके आती होगी , उनको इंतजार नहीं कराना ।
क्या तैयारी करें , इस बार कोई कंजक नहीं आएगी , कलही मोहल्ले वाले ने बोल दिया था ..........."भाभी जी बुरा मत मानना इस बार हम सब अपनी बच्चियों को आपके घर नहीं भेजेंगे , मना करते हुए हमें अच्छा नहीं लगेगा , इसलिए आप बुलाने मत आना "।
आपने पुलिस वाला होकर भी अपने रेपिस्ट बेटे को बचाने में मदद की, उसी का नतीजा है ।
उस मासूम का नहीं सोचा आपने कि वो भी किसी की बेटी है , उसकी जगह आप की बेटी होती और उसके साथ कुछ ऐसी घटना घटती तो क्या आप उस रेपिस्ट को बक्श देते ??
अपनी बेटी। तो बेटी है और दूसरी सिर्फ एक औरत , एक हाड- मांस का टुकड़ा , उसकी इज्जत , इज़्ज़त नही ?
क्या करता एक ही बेटा है ,आत्महत्या की धमकी दे रहा था।
ऐसी औलाद से तो मैं बांझ भली , मुझे किसी रेपिस्ट की मां कहलाना मंज़ूर नहीं ।
एक दिन तो हम दुर्गा रूपी कन्या की पूजा करते हैं , और एक दिन उसी दुर्गा रूपी कन्या का बलात्कार करते हैं ।
ऐसे में क्या दूर्गा मां हमारी उपासना से प्रसन्न होंगी ?
सच कहा , मैं पुत्र मोह में भ्रमित हो गया था । मैं आज ही केस रिओपन करा के इसे इसके किए की सज़ा दिलवाऊंगा , और अपना पश्चाताप पूरा करूंगा , मैंने पुत्र मोह में पड़कर बहुत बड़ा गुनाह कर दिया ।
मौलिक एवं स्वरचित
प्रेम बजाज, जगाधरी ( यमुनानगर )
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