हिन्दुओं का सबसे बड़ा पांच दिवसीय त्योहार- धनतेरस , रूपचौदस,दिवाली, गोवर्धन या अन्न कूट और पांचवें दिन मनियां जाने वाला भाई - दूज का त्योहार। इसी के साथ दिपावली की समाप्ति ।
कार्तिक शुक्ल द्वितिया को पूरे भारत वर्ष में पर्व मनाया जाता है।
रक्षाबंधन के बाद भाई - दूज ही ऐसा पर्व है जो भाई - बहन के पवित्र रिश्ते को और मजबूत करता है , उनके अमर प्रेम को दर्शाता है। विवाहित बहने भाई को अपने घर बुला कर तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं, और उनके उज्जवल भविष्य तथा लम्बी उम्र की कामना करती है, एंव भाई भी बहन को उपहार देता है।
ऐसी मान्यता है भगवान् सुर्य एंव छाया के पुत्र यमराज को उनकी बहन यमुना भाई से स्नेह वश अपने घर आने और भोजन करने का निवेदन किया करती थी। लेकिन यमराज वयस्त होने के कारण जा नहीं पाते थे।
कार्तिक शुक्ल द्वितिय के दिन यमराज को अपने घर देखकर हर्ष विभोर हो गई, भाई का स्वागत- सत्कार किया,भोजन कराया।
भाई ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने को कहा तो यमुना ने कहा कि वो हर साल आज ही के उसके घर आए और भोजन भी करें और आज ही के दिन जो विवाहिता बहन भाई को अपने घर बुला कर तिलक और भोजन कराए भाई उसका आतिथ्य स्वीकार करे, उस भाई को कम भी आप से भय ना हो।
यमराज ने त्थास्तु कहा और यमुना से वादा किया कि जो भाई बहन के घर तिलक कराएगा उसे स्वस्थ और समृद्ध जीवन की प्राप्ति होगी, तब से बहन भाई का ये पर्व मनाया जाने लगा ।
मौलिक एवं स्वरचित
प्रेम बजाज, जगाधरी ( यमुनानगर )
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