सुनहरी यादें

सुनहरी यादें

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 24 Dec, 2020 | 1 min read

आज फिर से उमड़ - उमड़ कर बादल आए हैं ,

फिर से सुनहरी यादों के वो बीते पल लाए हैं ।


तुम तो छोड़ कर चले दिए हमें भूला कर

हम तो तुम्हें एक पल ना भूलाए  है  ।


 आज भी बादलों पर लिखती हूं कहानी तेरी

वहीं रंग, वहीं नूर तेरा बादलों में नज़र आए है ।


क्या रंग भरू मैं इन बादलों में ,सुनहरे बादल ,

सुनहरी यादें , सब तुम्हारे ही तो रंग समाए हैं ।


दो लकीरें क्या खींच दी मैंने इन बादलों पर ,

भूले - बिसरे पल सारे बादलों ने याद कराएं है ।


प्रेम बजाज

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Prem Bajaj

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