नमस्कार दोस्तों ,
दोस्तों मैंने एक कहानी लिखी थी सदियों का इंतजार , उसमें आशा और सुरेश एक साथ पढ़ते थे , फिर नौकरी के लिए दूर हो गए । लेकिन आशा मन ही मन सुरेश को चाहती है , और उसे आशा है कि सुरेश एक दिन उसके मन की बात जान लेगा और वो भी इज़हारे - मोहब्बत कर देगा । लेकिन ऐसा नहीं हुआ ।आशा अपनी बारात में दुल्हे के साथ सुरेश को देख कर चौंक जाती है , और अभी भी उसे इन्तज़ार है कि सुरेश शायद अब उसके मन की भाषा पढ़ लें ,
गंताक से आगे ………......
पहले तो सब दोस्त मिल कर दुल्हे यानि आकाश के साथ हंसी ठिठोली कर रहे थे , जब दुल्हन आई तो सबने आशा को आदर दिया , और सुरेश भी आशा को देख हक्का - बक्का रह गया ।
शादी की सारी रस्में पूरी हुई , जब विदाई होने लगी तो सब सुरेश को ढूंढ रहे थे , सालियों से जूते जो वापिस चाहिए , और सुरेश भी था जो पूरे मामले को सुलझा सकता था लेकिन सुरेश का कहीं अता - पता नहीं , फोन करने पर बताया कि मेरी तबियत ठीक नहीं थी इसलिए चला गया ।
ख़ैर सब कुछ सैट हो गया , डोली चली गई , आशा अपनी गृहस्थी में रम गई , लेकिन मन के किसी कोने में अभी भी सुरेश और सुरेश के लिए वही सवाल , क्या वो भी वही चाहता है जो मैं चाहती थी , इसलिए वो शादी वाली रात वापिस लौट गया था , क्या कारण था ??
उसके मन में ढेरों सवाल लेकिन कौन दे उन सवालों का जवाब ।
आकाश कुछ छुट्टियों के बाद आफिस ज्वाइंन कर लेता है और ज़िन्दगी उसी तरह चल रही है लेकिन आशा की ज़िन्दगी वहीं पर ही जैसे थम सी गई है । कुछ दिन बाद ही आकाश बताता है कि आफिस में हमारे स्वागत में दोस्तों ने पार्टी रखी थी और आज ही अचानक पता चला कि सुरेश का तबादला हो गया , उसकी फेयरवेल पार्टी भी साथ हो गई ।
कल तैयार रहना मैं आफिस से जल्दी आकर तुम्हें ले जाऊंगा ।
आशा के मन की आज हो गई थी , उसने सोच लिया कि सुरेश अब यहां से चला जाएगा , फिर ना जाने कब मेल हो आज मौका देख कर एक बार सुरेश से पूछ ही लूंगी कि उसके मन में क्या है और उसने तबादला कहीं उसने जानबूझकर तो नहीं कराया ।
आशा कालिज के दिनों में चली जाती है ख़यालो में , कितना अच्छा गाता था सुरेश , मंत्रमुग्ध हो जाते थे सब उसका पसंदीदा गीत था …......... #जीता हूं जिसके लिए, जिसके लिए मरता हूं , एक ऐसी लड़की है , जिसे मैं प्यार करता हूं ।#........
आज आशा मन ही मन हर्षित है कि आज सुरेश से मुलाकात होगी , और वो जानकर रहेगी आज कि कौन है वो जिसे सुरेश चाहता था । आफिस में आकाश ने सबसे मिलाया आशा को सब अपनी फैमिली के साथ आए हुए थे ।
आशा सबसे मिल रही थी जब सुरेश को मिलवाया तो आशा ने पूछा लिया आप अपनी वाइफ को नहीं लाए , तब आकाश बताता है कि सुरेश ने अब तक शादी नहीं की , ना जाने किसका इंतज़ार है इसे बस हर पल यही गुनगुनाता है ,
# ऐसी लड़की है , जिसे मैं प्यार करता हूं , पता नहीं कौन है कहां है कुछ बताता तो है नहीं ।
आज सब सुरेश को वही गाना गाने को कहते हैं , और सब कहते हैं कि आज तो वो बता ही दे कि वो कौन है । सुरेश कहता है कि वो झूठ बोल रहा था ऐसी कोई नहीं है , और वो वहीं गीत गा रहा है , लेकिन अब उसके बोल बदल गए हैं ………** एक ऐसी लड़की थी जिसे मैं प्यार करता था **।
आशा समझ जाती है कि सुरेश करता कहना चाह रहा है , लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता , तकदीर कि लिखा कोई नहीं मिटा सकता । उसके बाद आशा को भी कुछ सुनाने को कहा जाता है आशा भी अपने मन के भाव बताना चाहती थी सुरेश को और वो गाती है
* किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है , कहां हो तुम कि ये दिल बेकरार आज भी है **
और सुरेश को जता देती है कि वो भी उससे प्यार करती है । और वो समझ जाती है कि सुरेश ने तबादला करवाया है खुद , ताकि वो अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ सके , आशा की आंखों में आंसु हैं , लेकिन वो उन अश्कों को पी जाती है और सबके सामने मुस्कराती रहती है ।
इस तरह दोनों अपना प्यार दिल में दबाए दूर हो जाते हैं ।
दोस्तों अगर आप को किसी से प्यार है तो कह दो ।
किसी कारण यदि ईज़हारे - इश्क नहीं किया तो इसका मतलब ये नहीं आप उसे हासिल कर के ही छोड़े , प्यार की राह में रोड़ा ना बने , उसकी राह से हट जाना ही बेहतर है , प्यार सिर्फ पाना ही नहीं कुर्बानी का नाम भी प्यार है , जैसे सुरेश और आशा ने किया ।
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