शंहशाह हो गया हूं

शंहशाह हो गया हूं

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 13 Dec, 2020 | 1 min read


जब से थामा है मैंने हाथ तेरा मैं शहंशाह हो गया हूं ,

तेरी हथेली में देखी तकदीर अपनी, मैं बादशाह हो गया हूं।


तु ही मेरा आगाज़ है, तु ही है अंजाम मेरा,

सोंप दिया अब खुद को तुझे, अब मैं खुद से लापरवाह हो गया हूं, जब से थामा है हाथ तेरा मैं शहंशाह हो गया हूं।


तेरे आने से महक उठा चमन मेरा जो पड़ा था वीराना,

इस खिलते हुए गुलशन का मैं बागबां हो गया हूं ।

 जो ना होती तुम इन लकीरों में तो क्या करता मैं इन लकीरों का,

तेरे होने ने बनाया मुझको, तेरे होने से मैं खुदा हो गया हूं, जब से थामा है हाथ तेरा शंहशाह हो गया हूं।


कहते सुना है मैंने लोगों को हाथों की लकीरों में तकदीर होती है,

क्या लेना हाथ की लकीरों से तेरे साथ से ही मैं तकदीरवान हो गया हू।

 लोग ढुंढते रहते है हाथों में तकदीर की लकीरों को, मैं ढुंढता हूं तुझ में अपनी तस्वीरों को।

तेरी निगाहों में जब - जब नज़र आए तस्वीर मेरी, मुझे पलकों में बसाने वाली का मैं खुदा हो गया हूं । जब से थामा है हाथ तेरा शंहशाह हो गया हूं।

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Prem Bajaj

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