मत करो मुझसे इतनी मोहब्बत कि जान जाएगी हमारी ।
ना छेड़ा करो यूँ साज़े-उलफ़त कि जान जाएगी हमारी ।
चले जाओगे ग़र एक दिन तुम कभी बेवफ़ा बन कर ,
सही जाएगी ना तन्हाई , जुदाई मार जाएगी तुम्हारी ।
जलेगा दिल हमारा आतिशे - ग़म में हर पल
तन्हाई में हमें जब - जब याद आएगी तुम्हारी ।
दो जिस्म इक जान कभी हुआ करते थे तुम - हम,
बन गए हो सितमग़र,येअदा बेकरारी बढ़ाएगी हमारी ।
चुभेंगे नश्तर जुदाई के सीने में हमारे जब-जब ,
ना आएगा करार हिज्र में हमें ये रात पड़ेगी भारी ।
मौजू -ए- गुफ़्तुगू किसी को क्या बताऐंगे हम,
टूटा क्यों दिल, दिल्लगी बात बन जाएगी सारी ।
राहे-शोक़ नहीं बाग़े-बहिश्त सोच के रखना कदम ,
कदम लड़खड़ने लगे, के अब तो मौत आएगी हमारी ।
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