जान जाएगी हमारी

मोहब्बत

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 04 Oct, 2020 | 1 min read

मत करो मुझसे इतनी मोहब्बत कि जान जाएगी हमारी ।

ना छेड़ा करो यूँ साज़े-उलफ़त कि जान जाएगी हमारी ।


चले जाओगे ग़र एक दिन तुम कभी बेवफ़ा बन कर ,

सही जाएगी ना तन्हाई , जुदाई मार जाएगी तुम्हारी ।


जलेगा दिल हमारा आतिशे - ग़म में हर पल

तन्हाई में हमें जब - जब याद आएगी तुम्हारी ।


दो जिस्म इक जान कभी हुआ करते थे तुम - हम,

बन गए हो सितमग़र,येअदा बेकरारी बढ़ाएगी हमारी ।


चुभेंगे नश्तर जुदाई के सीने में हमारे जब-जब ,

ना आएगा करार हिज्र में हमें ये रात पड़ेगी भारी ।


मौजू -ए- गुफ़्तुगू किसी को क्या बताऐंगे हम,

टूटा क्यों दिल, दिल्लगी बात बन जाएगी सारी ।


राहे-शोक़ नहीं बाग़े-बहिश्त सोच के रखना कदम ,

 कदम लड़खड़ने लगे, के अब तो मौत आएगी हमारी ।


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Prem Bajaj

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