किन्नर के ज़ज्बात

किन्नर भी ज़ज्बात रखतै हैं

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 29 Oct, 2020 | 1 min read

किन्नर ... राम राम सेठ ,

""राम राम

"" क्या हुआ सेठ ? आज हमें देख के खुशी नहीं हुई ?

तुम तो हमेशा हमें देख कर खुश होते थे , कहते थे लक्ष्मी माता की

कृपा तुमसे ही होती है , आज मुंह क्यों लटका हुआ है , सब ठीक तो है ना ।

चलो , लाओ जल्दी से हमारा दिवाली का इनाम ।

"" सेठ इस बार कुछ कम रूपए देता है ।

"क्या हुआ सेठ आज सच्ची में मूड़ ठीक नहीं लग रहा , कोई तो बात है ,

सेठ बताओ तो हम भी तुम्हारे अपने है , क्या बात है ।

" अरे शीला क्या बताऊं तुम्हें , जो मुझ पर बीत रही है , वो तुम नहीं समझोगी ,

रूआंसा होकर " मुझे पोते की आस थी इश्वर ने पोती झोली में डाली ।

अरे बधाई हो सेठ इश्वर ने तुम्हे बेटी तो दी , हम जैसा तो नहीं बनाया , शुक्र मनाओ उस

परवरदिगार का जिसने झोली में फूल डाला , हमारे मां - बाप की झोली में देखो ,

इश्वर ने हमारे जैसा कैक्टस दिया । सेठ हमेशा लक्ष्मी - लक्ष्मी करते हो आज लक्ष्मी स्वंय

पधारी तो उसका आदर नहीं ?

बेटी या बेटा दो ही दे इश्वर सबको , हम जैसा किसी को ना दे ।

और सुनो , परवरदिगार ने हमें तुम जैसा चाहे नहीं बनाया , लेकिन एहसास तो हमें भी

दिए हैं , ज़ज्बात हमारे भी होते हैं, दिल हमारे अन्दर भी तुम सा ही धड़कता है ।

जज्बातों से भरे इन्सान तो हम भी हैं !

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Prem Bajaj

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