तुम क्या जानो

प्रेम

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 05 Oct, 2020 | 1 min read

तुम्हें तो फूलों से प्रेम है , काँटो की व्यथा तुम क्या जानो ।


सूँघी केवल गँध फूलों की , शूलों की व्यथा तुम क्या जानो ।


फूलों की पहरेदारी में बिता जीवन, शूलों से साख फूलों की तुम क्या जानो ।


मँजिल को पाना बस काम तुम्हारा, राहों की व्यथा तुम क्या जानो ।


तुम्हें चाहिए मुस्कराहट हर पल, आँसु की कहानी तुम क्या जानो ।


मँजिल मिलाने को रहती बेताब जो, वो राहे तरसे प्यार बिन तुम क्या जानो ।


 तुमने सदा पूनम से प्रीत करी , अमावस की व्यथा तुम क्या जानो ।


तुमने सदा पूछा हाल खुशी में , कब होती है ग़मों की बरसात तुम क्या जानों ।



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Prem Bajaj

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