परंपरा के नाम पर पैसे की बर्बादी

पैसे की बर्बादी क्यों

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 561
Prem Bajaj
Prem Bajaj 10 Nov, 2020 | 1 min read

माना त्योहारों पर सभी को चाह होती है , कि हंसी-खुशी त्योहार मनाएं , ने कपड़े हो , घर सजा - धजा हो , होली पर रंग खेलें , दिवाली पर ढेर सारे पटाखे चलाएं ।

लेकिन हमें अपनी जेब देख कर खर्च करना चाहिए ना कि इधर- उधर से उधार लेकर ।

अगर हम इश्वर की कृपा से समृद्ध है तो हम परिवार के लिए नए कपड़े , तोहफे ( जो किसी भी रूप में ) सोना - चांदी या बच्चों के लिए खिलौने ला सकते हैं , लेकिन केवल परंपरा के नाम पर और उधार लेकर ऐसा करना मुर्खता है ।

बड़े बुजुर्गो ने भी कहा है , "" तेते पांव पसारिए जेती लम्बी सोर ""

पुरातन समय के लोग साधारण जीवन जीते थे , त्योहार या विवाह पर ही ने कपड़े या गहने इत्यादि खरीदे जाते थे , बहु- बेटियों को भी ने कपड़े या गहने तोहफ़े में दिए जाते थे ,इसका अर्थ कदापि ये नहीं कि त्योहारों पर नया कपड़ा पहनना एक परंपरा है।

आजकल तो लोग अक्सर ही कपड़े या गहने खरीद लाते हैं कभी सेल के नाम पर तो कभी कुछ नया चाहिए , जब अक्सर शापिंग होती ही रहती है तो त्योहार पर ने कपड़े कुछ परंपरा का तो केवल ढकोसला ही माना जाएगा , पैसे की बर्बादी माना जाएगा ।अगर हम ये पैसे की बर्बादी रोक कर यही किसी गरीब की मदद कर दे , किसी गरीब का तन ढक दें , किसी को पढ़ने के नाम पर कुछ दे , कुछ अपने बुरे वक्त के लिए सहेज कर रखे , तो आने वाली पीढ़ी को भी हम कुछ शिक्षा दे पाएंगे।

आजकल लगभग आठ महीने से सभी का काम मंदा है , ऐसे में खाना और कपड़ा ये हर इन्सान की ज़रूरत है , जिनके पास कुछ सहेजा हुआ था उन लोगों का तो ठीक से चल गया , लेकिन जिनके पास नहीं था , भूखों मरने की नौबत आ गई उन्हें कहीं ना कहीं से उधार लेकर चलाना पड़ रहा है , लेकिन सोचिए जब तक सब नार्मल होगा , उस आने वाले समय में वो कितना काम करेंगे कि तब भी खाना हो और पिछला भी चुकाएं , किसी को पता तो नहीं था कि कोरोना आएगा और ऐसी बेरोजगारी होगी , इसलिए आने वाले वक्त के लिए हमें हमा तैयार रहना चाहिए।

ये छोटी छोटी बचत ही हमारे आने वाले बुरे वक्त में बहुत बड़ा सहारा बनेगी ।

इसलिए परंपराओं के नाम पर नया कपड़ा या ढेर सारी पटाखे लेकर पैसे की बर्बादी और वातावरण को दुषित ना करें ।



मौलिक एवं स्वरचित

प्रेम बजाज, जगाधरी ( यमुनानगर)

0 likes

Support Prem Bajaj

Please login to support the author.

Published By

Prem Bajaj

prembajaj1

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.