सब भूलने लगा हूं आजकल ,
बैठे-बैठे खोने लगा हूं आजकल,
तेरी याद सताती है इतना कि खुद-
से भी अनजान होने लगा हूं आजकल ।
तुमसे मोहब्बत कर के भूल की ,
तुम्हें दिल में बसा करके भूल की ,
भूलने लगा हूं अब तो खुद को भी -
तुम पे एतबार कर के भूल की ।
भूल से हो गई भूल, हमने ना जाना ,
भूल जाना उस भूल को ए जान-ए- जाना ,
भूलाना ना कभी भी हमें भूल कर तुम -
ग़र भूलाना तो फिर याद ना आना ।
प्रेम बजाज
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