क्यों हम धर्म की आढ़ लेकर एक दूजे पर तंज कस रहे हैं । इश्वर ने तो धर्म नहीं बनाया , इश्वर ने इन्सान बनाया , सुन्दर प्रकृति प्रदान की इन्सान को , मनोरंजन के लिए पशु पक्षी , जीवन निर्वाह के पेड़ पौधे , फूल- फल सब खाद्ध सामग्री प्रदान की । ………
# लेकिन वाह ये इन्सान तेरी फितरत निराली , इश्वर की रचना में भी तुने खलल डाली #
क्यों एक जीव ही दूसरे जीव का दुश्मन बन बैठा है ,जीव ही जीव को मार कर खा रहा है । क्यों इन्सान ने प्रकृति को इतना हताश कर दिया कि आज प्रकृति भी हमें हमारे किए का फल दे रही है ।
हमारी जिस संस्कृति और धर्म की मिसालें दिया करता था संसार , आज वो संस्कृति, वैष्विक एकता , दया , धर्म क्षीण होते नज़र आते हैं , हमारा धर्म संक्रमित हो चुका है ।
सामाजिक दृष्टिकोण से देखें तो सभी अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं , कुछ असामाजिक तत्व झूठे -सच्चे और उत्तेजनाजनक संदेश एक से दूसरे तक पहुंचाकर हिन्दु- मुस्लिम का भेद बता कर लड़ा रहे हैं आपस में ।
समाज आज दूसरों की कुरितियों पर आधारित हो कर सोच रहा है ये नहीं समझता कि जिस संक्रमण से हम संक्रमित हो रहे हैं उसकी कोई मंजिल नहीं ।
जीवन में कभी सुख , कभी दु:ख , कभी आशा तो कभी निराशा आते ही हैं , इसका मतलब ये नहीं कि हम अपनी कमियों को दूसरे के मत्थे मढ़ दें ।
तो आइये समाज से इस धार्मिक और सामाजिक संक्रमण को जड़ से उखाड़ फेंके और मिल कर इन्सान का इन्सान से नाता निभाए , प्रकृति को मान लें , पशु -पक्षीयों को प्यार दें ।
जय हिन्द , जय भारत 🙏
प्रेम बजाज
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत ही हृदय स्पर्शी भाव आदरणीया
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏🌹😊
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