अरी ओ मुनिया कैसा है री तेरा लल्ला,
बस साहब अभी भी बुखार से तप रहा है दवाई देकर सुला के आई हूँँ । शाम को फिर डाक्टर को दिखाना है । डाक्टर कह रहे थे कि अगर शाम तक बुखार ना उतरा तो सायद अस्पताल में मर्ती कराना होगा ।
तो आज काम पे काहे आई घर पे रह के लल्ला की देखभाल कर ना ।
साहब काम नहीं करेंगे तो खाऐंगे कहाँ से लल्ला की दवा बापु भी तो बीमार रहते हैं , मर्द तो रहा नहीं जो कमा के खिला देगा ।
तु उसकी चिँता मती करे हम जो हैं जा तु घर जा और सुन राशन तेरे घर शाम तक पहुँच जाऐगा ले कुछ पैसे भी लेती जा ।
बहुत -बहुत सुक्रिया साहब आप बहूत दयालु हैं आप का करज कैसन उतारेंगे ।
वो कोई बात नहीं बस तुम रात को लल्ला को सुला के आ जाईओ करज उतर जाऐगा ।
..... तड़ाक ...इतनी ज़ोर से आवाज़ हुई .... सेठ के गाल पर मुनिया की ऊँगलियों के निशान ,सब का ध्यान एकदम इधर गया क्या हो गया ।
राधा जो सब देख - सुन रही थी ----""अरे वाह मुनिया क्या हिम्मत दिखाई , बहुत अच्छा किया ,ऐसे लोगों को सबक सिखाना ही चाहिए , सबको अपनी जागीर समझता है , तुझे देख आज हममें भी हिम्मत जाग गई है । ""
ओए सेठ मेहनत करते है , ज़मीर नहीं बेचा अपना , भूखे मर जाऐंगे लेकिन जीऐंगे आत्मसम्मान के साथ, ये रहे तेरे ₹ और रख लियो अपना रासन भी , हां नहीं चाहिए हमको ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत खूब
जी शुक्रिया 🙏
Please Login or Create a free account to comment.