आत्मसम्मान

आत्मसम्मान ही असली दौलत है

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 21 Oct, 2020 | 1 min read

अरी ओ मुनिया कैसा है री तेरा लल्ला,

 बस साहब अभी भी बुखार से तप रहा है दवाई देकर सुला के आई हूँँ । शाम को फिर डाक्टर को दिखाना है । डाक्टर कह रहे थे कि अगर शाम तक बुखार ना उतरा तो सायद अस्पताल में मर्ती कराना होगा ।

तो आज काम पे काहे आई घर पे रह के लल्ला की देखभाल कर ना ।

साहब काम नहीं करेंगे तो खाऐंगे कहाँ से लल्ला की दवा बापु भी तो बीमार रहते हैं , मर्द तो रहा नहीं जो कमा के खिला देगा ।

तु उसकी चिँता मती करे हम जो हैं जा तु घर जा और सुन राशन तेरे घर शाम तक पहुँच जाऐगा ले कुछ पैसे भी लेती जा ।

बहुत -बहुत सुक्रिया साहब आप बहूत दयालु हैं आप का करज कैसन उतारेंगे ।

 वो कोई बात नहीं बस तुम रात को लल्ला को सुला के आ जाईओ करज उतर जाऐगा ।

..... तड़ाक ...इतनी ज़ोर से आवाज़ हुई .... सेठ के गाल पर मुनिया की ऊँगलियों के निशान ,सब का ध्यान एकदम इधर गया क्या हो गया ।

राधा जो सब देख - सुन रही थी ----""अरे वाह मुनिया क्या हिम्मत दिखाई , बहुत अच्छा किया ,ऐसे लोगों को सबक सिखाना ही चाहिए , सबको अपनी जागीर समझता है , तुझे देख आज हममें भी हिम्मत जाग गई है । ""

 ओए सेठ मेहनत करते  है , ज़मीर नहीं बेचा अपना , भूखे मर जाऐंगे लेकिन जीऐंगे आत्मसम्मान के साथ, ये रहे तेरे ₹ और रख लियो अपना रासन भी , हां नहीं चाहिए हमको ।


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Prem Bajaj

prembajaj1

Comments

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  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत खूब

  • Prem Bajaj · 4 years ago last edited 4 years ago

    जी शुक्रिया 🙏

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