मां , मां बहुत जोरों से भूख लगी है , कुछ खाने को दो ना ।
कहां से लाऊं , कोरोना की वजह से सब बोलते हैं दूर रहना है
किसी को अपने घर नहीं आने देना ,ऐसा कह के कोई नहीं काम देता ।
मां लाला से उधार ले आओ ना , जब काम मिलेगा चुका देना ।
हां बचुआ मैं भी यही सोच रही हूं , अब और तो कोई चारा ना है ।
आज तेरा बापु ज़िन्दा होता , कहीं से जुगाड कर ही लेता ,
उसको भी मुआ कोरोना खा गया ।
चल अभी पानी पी लें रात को लाला से कुछ खाने को लाना ही होगा ,
वरना तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी ।
मां अभी ले आओ ना ।
ना बचुआ वो अभी ना देवेगा , वो रात को देवे है , अब तुझे कैसे समझाऊं ,
कि इस बड़े लोग काम नहीं देते कोरोना का डर खाए हैं इनको ,
लेकिन इमान के बदले निवाला देते हैं ।
लाला के पास गई .... लाला बचुआ के भूखों मरने की नौबत है , कुछ खाने के लिए दे दो ।
आओ रानी , आओ, मैं तो बोला था तुझे , तु ही नहीं आई ।
लाला कोरोना है !
अरे काहे कोरोना का रोना रोवत है , आजा अन्दर फटाक से ।
थोड़ी देर बाद लाला के घर से ढेर सारा खाना मिल गया ।
मां काम मिल गया का ।
हां बचुआ इमान बेचने का काम है , अगर निवाला चाही तो ई काम अब करना ही पड़ी ।
*वाह रे इन्सान
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Wah,👏👏 aapne jiwan ki sacchai likhna hai
जी शुक्रिया 🙏
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