धरती अम्बर का प्यार

प्रेम

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 03 Oct, 2020 | 1 min read

धरती से सदा प्यार किया करता अम्बर

माँग उसकी सुरज से भरा करता अम्बर ।


दूर चाहे कितना भी वो हो जाए उससे

पर क्षितिज पर जा मिला करता अम्बर ।


ना डूबे घने तिमिर में उसकी प्रियतमा

उजियारा उसको लाकर दिया करता अम्बर।


बरसा कर बादलों से जल की धारा को

धरती की प्यास बुझाया करता अम्बर ।


छिटका कर के पूनम की चाँदनी को

धरती को उपहार दिया करता अम्बर ।


तपा-तपा कर रोज़ ही खुद को, धरती से

प्यार का इकरार किया करता अम्बर ।


रूठा करती धरती फिर भी उससे

हर बार ही मनुहार किया करता अम्बर ।


धरती अम्बर की ही प्रियतमा है

उसी का श्रृँगार किया करता अम्बर ।


सदियों से ही * प्रेम * कर रहा उसे

नहीं कभी कोई कमी किया करता अम्बर

प्रेम बजाज

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Prem Bajaj

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