दिवाली
मां , मां ये इतने सारे दिए क्यों बना रहे हो , अरे बेटा दिवाली आ रही है ना इसलिए ।
आहा जी दिवाली है , फिर तो ने कपड़े , मिठाई, और ढेर सारे खिलौने ले लोगे ना ।
हां, हां सब ले देंगे बेटा दिए बिक जाएं इस बार अच्छे से । सुनो जी इस बार तो लल्ला को बहुत सारे खिलौने ले के देंगे ।
हां भागवान , एक बार राम जी कृपा कर दें तो सब अच्छा ही होगा ।
दिवाली वाले दिन ...... मां दिए तो कोई भी नहीं खरीद रहा ,सब रंग-बिरंगी बल्ब की लड़ियां ही ले रहे हैं
अब हम कपड़े , मिठाई कुछ भी नहीं लेंगे ।
इस बार दिवाली पे हम क्या करेंगे ? पैसे तो मिले नहीं बाबा को , हम अपना घर कैसे सजाएंगे ?
फिर राम जी हमारे घर नहीं आएंगे ना ? आपने कहा था राम जी सब पर कृपा करते हैं ।
हां बेटा इस बार राम जी ने हम पर कृपा की है , हम ये सारे दिए अपने घर में जलाएंगे , दियो से हम
अपना घर सजाएंगे , देखना फिर राम जी हमारे घर ज़रूर आएंगे । राम जी को दिए प्यारे हैं ।
मौलिक एवं स्वरचित
प्रेम बजाज, जगाधरी ( यमुनानगर )
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