सपनों के बारे में बहुत सी कहावतें प्रचलित हैं,
जैसे कि, सपने तो सपने होते हैं,
सपने सच होते हैं,
या
सपने हकीकत नहीं होते,
कभी कोई किसी को कह देता है कि सपने ही देखते रहते हो।
इस तरह किसी ना किसी ने अपने अनुभव से कहावतें बना डाली।
लेकिन क्या सच में सपने सच होते हैं?
*इसके लिए पहले हमें ये जानना चाहिए कि सपने होते क्या हैं*?
और यदि सपने सच में होते हैं तो उनका हम पर क्या प्रभाव पड़ता है।
अधिकतर जब हम दिन-भर किसी इन्सान या किसी चीज़ के बारे में सोचते रहते हैं या बातें करते रहते हैं, वो बातें कहीं ना कहीं हमारे दीमाग पर एक छाप छोड़ जाती हैं।
जब हम सोते हैं तब भी वही बातें हमारे दीमाग में चल रही होती हैं। जो हमारे सुसुप्त अवस्था में हमारे दीमाग में घूमने लगती है जिसे हम सपना कहते हैं।
नींद खुलने पर कभी वो चीज़ें हमें फिर से याद आ जाती है और कभी हम उसे भूल जाते हैं। जिसे हम सपने का भूलना कह देते हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि सुबह का सपना सच होता है। अगर ऐसा हो तो सब लोग जिन्हें अक्सर सपने आते रहते हैं वो लोग तो रात को बहुत देर से सोया करें, ताकि वो कोई अच्छा सपना देखें और वो सच हो जाए।
लेकिन कई बार ऐसा होता होता कि एक ही सपना बार-बार आता रहता है, और फिर जब वही बात या घटना हकीकत में घट जाती है तब हम उस पर विश्वास करने लगते हैं कि ये सपने में हमने देखा था और यही हुआ अर्थात सपना सच हुआ।
दरअसल उदाहरण के लिए, हम किसी कामयाबी के लिए कोशिश करते हैं और हर पल ( दिन हो या रात) हमारे दीमाग में यही चलता है कि हम कामयाब होंगे, और हमारी मेहनत रंग लाती है तो हम कहते हैं कि हां मुझे सपना आया था कि मैं अवश्य कामयाब होऊंगा।
तब हम अपनी उस मेहनत को सपने के साथ जोड़ देते हैं।
या कभी हमारे मन में कोई दुर्घटना की आंशका हो और हम उसे बार- बार सोच कर परेशान हो कि कहीं ऐसा ना हो जाए, और अचानक वही दुर्घटना घट जाए,तो हम उसे सपने के साथ जोड़ देते हैं। जो होना होता है वो होकर रहता है, लेकिन हमारी नाकारात्मक सोच भी इसमें अहम भुमिका निभाती है।
हां कभी-कभी किसी को सच्चाई का आभास होता है, लेकिन और ये हकीकत भी है, कि कभी सपने सच भी होते हैं, जैसे कि गौतम बुद्ध के पिता को पहले ही स्वप्न में गौतम खज़ाना अर्थात हीरे, मोती, जवाहारात लूटाता नज़र आ गया था, लेकिन ऋषियों से पूछने पर ज्ञात हुआ कि गौतम बुद्ध बहुत बड़ा साधु बनेगा और ज्ञान का खज़ाना लुटाएगा। ऐसे ही बहुत कम साधक प्रवृत्ति के लोग होते हैं जिनके सपने उन्हें कुछ आभास कराते हैं या यूं कहिए कि पहले से ही सूचित करते हैं। लेकिन ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि सपना रात्रि के किस पहर में देखा गया। रात्रि के तीसरे और चौथे पहर में देखा जाने वाला सपना अधिकतर कुछ इंगित करता है।
इस तरह सपने सच भी है और सपने भी, हकीकत भी हैं और दीमाग का फितूर भी।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)
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