*क्या सोलह सिंगार सचमुच सौभाग्य की निशानी है या महज दिखावा* ?
सोलह सिंगार आज के नहीं देवलोक से चली आई परमपराएं हैं, जब से सृष्टि का जन्म हुआ पुरुष ने सदा स्त्री को शृंगारित रूप में देखना पसंद किया है।
क्योंकि सोलह सिंगार स्त्री की खूबसूरती में चार चांद लगाती है। वैसे भी भारतीय नारी पति और परिवार के लिए अत्यधिक चिंतित रहती है और ऋगवेद में परिवार की भलाई और सौभाग्य के लिए सोलह सिंगार का वर्णन किया गया है मगर इन सुहाग चिन्ह को लेकर कई वैज्ञानिकों ने भी बताए हैं जिससे मानसिक एंव शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
युगों पहले स्त्री का दायरा केवल घर और परिवार तक सीमित रहता था मगर स्त्री शिक्षित हो चुकी है एवं हर उस क्षेत्र में कदम रख चुकी है जहां केवल पुरुष का ही एकाधिकार होता था। इस तरह समयानुसार अन्य परिवर्तनों के साथ परंपराओं में भी परिवर्तन होना अनिवार्य है । और इस तरह विवाह के इन चिन्हों अर्थात सोलह सिंगार को धारण करना या ना करना व्यक्तिगत पसंद बन चुकी है।
जैसा कि #सिंदूर महिलाओं के सुहाग के प्रति प्रेम होने का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है। मस्तिष्क के मध्य सह्स्त्राहार चक्र को एकाग्र व सक्रिय रखता है। सिंदूर में पारा होता है जो मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करता है। सिर के मध्य में लगाने की वजह से दिमाग तेज रहता है। सिंदूर स्त्री के शारीरिक तापमान एवं रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
#मांग टीका स्त्री को अपने से जुड़े लोगों का आदर करना सिखाता है। यह स्त्री के शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है जिससे सूझबूझ और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
#बिंदी को त्रिनेत्र का प्रतीक माना गया है। दो नेत्र सूरज और चांद का भूत और वर्तमान को देखते हैं। बिंदी त्रिनेत्र के प्रति के रूप में भविष्य में आने वाली समस्याओं की ओर इशारा करती है, भोहों के बीच का आज्ञा चक्र माना गया है, यहां ध्यान केंद्रित करने से बुद्धि और एकाग्रता बढ़ती है और मानसिक संतुलन नियंत्रण में रहता है। वैज्ञानिक दृष्टि से बिंदी से आज्ञा चक्र सक्रिय होता है जो आध्यात्मिक ऊर्जा को बनाए रखता है।
#काजल स्त्री के रूप और आंखों की सुंदरता को बढ़ाता है, एवं आंखों की कई बीमारियों से बचाता है। मान्यता के अनुसार काजल लगाने से स्त्री पर किसी की बुरी नजर का कुप्रभाव नहीं पड़ता।काजल से भरी आंखें स्त्री के हृदय में प्रेम एवं कोमलता को दर्शाती है ।
#लौंग या नथ देवी पार्वती के सम्मान में उत्तर भारत में बांए, दक्षिण भारत में नाक के दोनों और एक छोटी सी शोज़ रिंग पहनी जाती है।
#झुमके यह गोल, लम्बे व अन्य आकार के सोने-चांदी इत्यादि धातु से बने पहने जाते हैं। इससे स्त्री के चेहरे की सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं । वैज्ञानिक धारणा के अनुसार हमारे कान में बहुत से एक्यूपंक्चर और एक्यूप्रेशर पांइटस होते हैं, जिन पर अगर सही दबाव डाला जाए तो महावारी के दिनों में होने वाले शारीरिक पीड़ा से राहत मिलती है। किडनी और मुत्राशय को भी स्वस्थ रखते हैं। कान की नसें स्त्री की नाभी से लेकर पैरों के तलवों के बीच सभी अंगो को प्रभावित करती हैं। सोने के झुमकों से शारीरिक ऊर्जा एवं बल का विकास होता है।
#मंगलसूत्र पति पत्नी के रिश्ते को बांधे रखता है, मंगलसूत्र सकारात्मकता को अपनी ओर आकर्षित करके स्त्री के मन और मस्तिष्क को शांत रखता है। मंगलसूत्र जितना लंबा होता है हृदय के लिए इतना ही फायदेमंद होता है। चांदी का होने के कारण तन को शीतलता और सोने का होने के कारण तन को बल प्रदान करता है, गले और इसके आसपास की कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिनका शरीर पर असर पड़ता है। इस तरह मंगलसूत्र पहनने से ब्लड सरकुलेशन भी नियंत्रित रहता है।
#चूड़ियां स्त्री का महत्व पूर्ण सिंगार होती है, ये लाख, कांच, सोना और चांदी की पहनी जाती है। चूड़ियां भाग्य, संपन्नता और पति की लम्बी उम्र और स्वास्थ्य का प्रतीक होती है। वैज्ञानिक धारणा के अनुसार चूड़ी हड्डियों को मजबूत करती है। चूड़ी की मीठी ध्वनि से नाकारात्मक उर्जा का नाश होता है सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। चूड़ियों की ध्वनि से कई तरह की बीमारियां भी नहीं होती।
#गजरा स्त्री को धैर्य व ताज़गी देता है। वैज्ञानिक धारणा के अनुसार चमेली की खुशबू ताज़गी देती है, स्त्री का मन प्रसन्न रहता है, फूलों की खुशबू से घर भी महका रहता है।
#मेहंदी सोलह श्रृंगार में मेहंदी महत्वपूर्ण मानी गई है। मान्यताओं के अनुसार मेहंदी का गहरा हरा रंग पति पत्नी में प्रेम को दर्शाता है। मेहंदी का रंग जितना गहरा लाल होगा पति पत्नी में प्यार उतना गहरा होगा। मान्यताओं के अनुसार मेहंदी तनाव से दूर और ऊर्जावान बनाए रखती है। मेंहदी से हार्मोन चेंज होते हैं, शरीर को ठंडक और दिमाग को शांति मिलती है।
#बाजूबंद बाजू के ऊपरी हिस्से में बांधा जाता है, मान्यताओं के अनुसार यह स्त्री के शरीर में ताकत बनाए रखता है वैज्ञानिक धारणा के अनुसार यह बाज़ पर सही दबाव डालकर रक्त संचार बढ़ाने में सहायक होता है ।
अंगूठी पति पत्नी के प्रेम का प्रतीक होती है। वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार अनामिका उंगली की नसें दिल और दिमाग तक जाती है इसे पहनने से दिल और दिमाग स्वस्थ रहते हैं।
#कमरबंद नाभि के ऊपरी हिस्से में बांधा जाता है चांदी का कमरबंद स्त्रियों के लिए शुभ माना जाता है। जो स्त्रियों के लिए अति आवश्यक है इससे महावारी और गर्भावस्था में होने वाली वाले सभी दर्द से राहत मिलती है।
#पायल चांदी की पायल शुभ मानी जाती है, पायल कभी भी सोने की नहीं होती। शादी के समय देवर की तरफ से भाभी को यह तोहफा भिजवाया जाता है । घर की बहू को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। पायल स्त्री के पैरों में संपन्नता का प्रतीक होती है। वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार पायल से जोड़ों में हड्डियों के दर्द से राहत मिलती है। घुंघरू से उत्पन्न होने वाली ध्वनि से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है
#बिछिया पैरों की उंगलियों में पहनने वाली चांदी की होती है, बिछिया से एक्यूप्रेशर होता है। ऐसी मान्यता है इसे पहनने से स्त्री का स्वास्थ्य अच्छा और घर में संपन्नता रहती है। पैरों की उंगलियों की नसों का संबंध गर्भाशय से होता है जिससे गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
#ईत्र सुगंध ( खास तौर पर गुलाब का इत्र) प्रेम का प्रतीक माना गया है जो पति-पत्नी को एक-दूसरे की ओर आकर्षित करती है वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार ईत्र तनाव को दूर करता है इसे पर्व पॉइंट्स पर लगाया जाता है।
यह सभी सिंगार ऋगवेद के अनुसार सौभाग्य एवं वैज्ञानिक धारणाओं के अनुसार शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है लेकिन वर्तमान में इनके मायने बदल चुके हैं आज की स्त्री अपने समय अथवा सुविधा अनुसार इनको धारण करती है।
समय और फैशन के मुताबिक शारीरिक बनाव-सिंगार रूचि अनुसार बदल रहे हैं। ये साजो-श्रृंगार बेशक आज की पीढ़ी की नज़र में ढकोसला हो, मगर ये अपनी अहमियत नहीं खो सकते , क्योंकि साज-सिंगार स्त्री का जन्मसिद्ध अधिकार है, मगर यह भी एक हकीकत है कि पति या परिवार अगर अपनी सेहत का, अपने भविष्य का ध्यान नहीं रखते तो मात्र स्त्री के साज-सिंगार से ही उनकी सेहत और भविष्य सुचारू रूप से नहीं चल सकता, महज परम्परा के नाम पर सोलह सिंगार के ढकोसले करना कहां तक न्याय संगत है?
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)
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