कुछ यादें सर्दियों की

सर्दियों की बेहतरीन यादें

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prem bajaj
prem bajaj 03 Feb, 2022 | 1 min read

कुछ मेरी-तेरी यादें सर्दियों की



यह बात उन दिनों की है जब मेरी शादी को अभी थोड़ा समय हुआ था लगभग चार-पांच महीने शादी के बाद मेरा पहला नया साल,और पहली ही सर्दियां ।

मेरे पति ( बजाज साहब) ने नए साल पर शिमला जाने का प्रोग्राम बनाया क्योंकि उस समय इन्हीं दिनों शिमला में बहुत ज्यादा बर्फबारी हो रही थी,और पतिदेव को बर्फबारी अर्थात स्नोफॉल देखने का बहुत शौंक है।

 नए साल से लगभग दो-तीन दिन पहले अर्थात 29 दिसंबर को ही हमने जाने का प्लान बनाया क्योंकि हम दो-तीन दिन वहां रहकर 1 तारीख की शाम अपने घर वापस आना चाहते थे।

पतिदेव ने यह प्लान 28 दिसंबर को ही बनाया था और जाने के लिए ढेर सारी शॉपिंग और पैकिंग भी करनी थी। 

हमारे पास केवल इन सब कामों के लिए आधा दिन था। खूब दौड़ भाग करके बड़े चाव से मैंने शॉपिंग और पैकिंग सब कुछ 28 तारीख की रात 2:00 बजे तक की, जिसके कारण मुझे थकान हो गई और सुबह जब जाने के लिए उठे तो हल्का सा बुखार महसूस हुआ। 

पतिदेव बोले,की रहने दो नहीं जाते, तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है। लेकिन मैं घूमने की शौकीन हूं, इसलिए मैंने बोला कहा कि मेरी तबीयत ठीक है हम जरूर जाएंगे ।

और हम शिमला के लिए निकल पड़े एक तो पहले की थकान से बुखार उस पर शिमला का 7-8 घंटे का सफर, उसकी थकान।

 शिमला पहुंचते-पहुंचते थकान से मेरा बुरा हाल था जाते ही मैंने दवाई खा ली और कुछ ठीक महसूस हुआ अगले दिन 30 दिसंबर को हम लोग खूब घूमे।

काफी बर्फ बारी भी हो रही थी जिसका पतिदेव ने भरपूर आनंद उठाया मैं बर्फ में बहुत खेली, हालांकि पतिदेव मुझे मना करते रहे कि बर्फ में ज्यादा ना रहूं क्योंकि पहले से थोड़ी सी तबीयत खराब थी। और उस पर मुझे ठंड से एलर्जी भी रहती है। जो कि पहले इन्हें पता नहीं था। 

लेकिन 31 दिसंबर की दोपहर तक इतनी अधिक थकान हो चुकी थी और ठंड भी अन्दर पसलियों तक रम चुकी थी कि मुझसे खड़ा भी नहीं जा रहा था,बदन तप रहा था, जब इन्होंने मुझे छुआ तो देखा बहुत तेज बुखार था लेकिन मैं इनका प्रोग्राम भी खराब करना नहीं चाहती थी इसलिए नहीं बताया था, लेकिन थोड़ी देर बाद मैं चक्कर खाकर गिर गई। 


पतिदेव दिन-रात मेरी सेवा में ही लगे रहे। मेरे कपड़े बदल कर रात भर मेरे माथे पर ठंडे पानी से पट्टिया करते रहे और हर एक घण्टे बाद बुखार चैक करते और मैं बेहोशी की हालत में उल्टियां किए जा रही थी, जो कि यह साफ किए जा रहे थे। अगले दिन अर्थात 1 जनवरी की सुबह लगभग 10:00 बजे मेरी आंख खुली तो मुझसे उठा भी नहीं जा रहा था। उठते ही मुझे Happy New year कहा और बेड पर ही टूथ ब्रश, फेस वॉश, सोप, टॉवल एक बॅकेट सब कुछ ले आए और मुझे सहारा देखकर टुथ ब्रश करवाया और उन्होंने खुद अपने हाथों से मेरा फेस वाश किया, और फिर उसके बाद मुझे अपने हाथों से ही चाय बिस्किट खिलाया उसके बाद सहारा देखकर मुझे बिठाया और पूरा दिन मेरे पास बैठ कर मुझसे बातें करते रहे। बोले, " तुम्हें ठंडी से एलर्जी है तो बताना था ना, बर्फ से इतना क्यों खेलती रही"

मुझे अपने बचपने पर उस समय बहुत बुरा लग रहा था कि अगर मैं अपनी ठंड की एलर्जी की बात बता देती तो शायद ऐसा ना होता, एक तो नए साल का प्रोग्राम भी खराब हुआ, उस पर इन्हें कितनी तकलीफ़ हुई हो अलग।

 घर पर फोन करके कह दिया कि हम आज नहीं आएंगे यहां का मौसम बहुत अच्छा है, इसलिए हम कल आएंगे क्योंकि मेरी हालत सफर करने लायक नहीं थी इसलिए घर पर झूठ बोला। 

अगले दिन भी सारा दिन मेरी तिमारदारी में लगे रहे, लेकिन उसके बाद कभी भी सर्दियों में किसी ऐसे ठंडे स्थान का प्रोग्राम नहीं बनाया और मैं भी खुद को इन्हीं दिनों ठंड से बचाकर रखती हूं, क्योंकि वो सर्दियां मुझे अभी तक नहीं भूली।



प्रेम बजाज ©®

जगाधरी ( यमुनानगर)

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prem bajaj

prembajaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Babita Kushwaha · 2 years ago last edited 2 years ago

    so sweet memory

  • prem bajaj · 2 years ago last edited 2 years ago

    Babita ji thx dear ❤️

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