डोमैस्टिक वायलेंस अर्थात घरेलु हिंसा..... घरेलु हिंसा जैसे .... औरतो पर अत्याधिक अत्याचार करना, चाहे वो पति द्वारा हो या सास-ससुर द्वारा या फिर अन्य किसी परिवार के सदस्य द्वारा.... घरेलु हिंसा में घर के नौकर या नौकरानी.. अर्थात घर मे काम करने वाले किसी भी सदस्य पर अत्याचार करना.. ये सभी घरेलु हिंसा के अन्तर्गत ही आते है ।
आज से पहले लोग इतने जागरूक नही थे, हर बात को चुप-चाप सहन कर लेते थे, महिला को हमेशा कमज़ोर समझा जाताऔर उन्हें शोषित किया जाता। एक लड़की या बहु कहे उस पर अगर ससुराल वाले अत्याचार करते थे तो माता-पिता खुद भी चुप रहते थे और बेटी को भी यही सलाह देते थे कि वो बर्दास्त करे.... और हम कर भी क्या सकते है... लेकिन अब समय बदल चुका है लोग जागरूक हो चुके है , लेकिन अभी भी कहीं-कही घरेलु हिंसा के किस्से सुने जाते है, घरेलू हिंसा से पिड़ित केवल बहु या बेटी ही नही अपितु कहीं पर तो ये भी देखने मे आता है कि लड़का भी हिंसा पिड़ित है , या बुज़ुर्ग औरतें जो बहु द्वारा या बेटे द्वारा प्रताड़ित होते हैं ।
या घर मे काम करने वाले नौकर अथवा नौकरानी भी घरेलू हिंसा का हिस्सा बने हुए है । हमारा फर्ज़ बनता है कि अगर कोई महिला घरेलु हिंसा पिड़ित है और वो इसके बारे मे कुछ नहीं जानती तो हम उसे हर अत्याचार के विरूद्ध ....चाहे वो फिजिकल, मैंटल , इकोनोमिकल, या मानसिक हो अवगत कराऐं ताकि वो तो आज़ाद हो ही इस पीड़ा से और हमारे देश में भी घरेलु हिंसा खत्म हो ।
2005 में औरत की रक्षा के लिए, जैसे पत्नी, लिव-इन-रिलेशन, बहन, मां, विधवा के लिए पति या घर का कोई भी पुरुष अगर अत्याचार करता है तो उसके लिए कानून बना।
आजकल ज्यादातर महिलाएं जानकारी रखतीं हैं कानून के बारे में, लेकिन कुछ इसका नाजायज़ फायदा भी उठाती है, जो गल्त है , कानून हमारे सुरक्षा के लिए बनें हैं ना कि उसका हम ग़लत इस्तेमाल करें ।
पिड़िता या उसकी तरफ से कोई भी डोमेस्टिक वायलेंस के खिलाफ शिकायत कर सकता है , जिसके लिए सज़ा या जुर्माना का प्रावाधान है । अगर कोई पुरूष किसी स्त्री को पिड़ित करता है तो प्रोटेक्शन ऑर्डर सेक्शन 18 के अन्तरगत उसे सज़ा दी जाती है इसी तरह रेजिडेंशल ऑर्डर सेक्शन 19 , मनी रिलिफ सेक्शन 20, कस्टडी ऑर्डर सेक्शन 21. और काॅम्पनशेशन ऑर्डर सेक्शन 22 के अन्तरगत दोषी साबित होने पर सज़ा या जुर्माना का प्रावाधान है ।
अत्याचार कैसा भी हो चाहे वो दहेज सम्बन्धी पीड़ा हो या किसी औरत को बाँझ कहना या मारना -पीटना या माँ-बाप को घर से निकालना , या किसी औरत को उसके बच्चों से दूर रखना हो या किसी बहु -बेटी को खर्चा इत्यादि ना देना कोई भी अत्याचार हो यहाँ तक कि घर के नौकर या नौकरानी पर भी अगर कोई भी अत्याचार होता है तो आज के समय मे उसका प्रावाधान है ।
दोस्तों हमें इस घरेलू हिंसा को समाप्त करने के लिए मिल कर कदम उठाना होगा , इसके खिलाफ आवाज़ उठानी होगी ,
ना हमें किसी को कोई तकलीफ देनी है और ना ही किसी को किसी तकलीफ से गुज़रते हुए देख कर खामोश रहना है ।
तभी होगा हिंसा का अन्त 🙏
मौलिक एवं स्वरचित
प्रेम बजाज, जगाधरी ( यमुनानगर)
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