एक -दूजे को दो बधाईयां बांटो आज सब मिठाईयां ,
गुझिया खाओ, पियो भांग, बज रहा ढोल करो सब नाच ।
धूम मचाओ गलियों में लेकर रंग हरा,पीला, नीला , लाल ।
भर-भर कर लाओ पिचकारी, रंग दो सभी को चाहे साला हो या साली ।
किसी का मुंह है लाल-पीला किसी का देखो कुर्ता गीला ।
शोर मचाते यार सब, बच्चे भी करते हुड़दंग ।
मन में रखो नहीं चल -कपट, भेद सब मिटा दो झटपट ।
भुला के तुम दुश्मनी सारी , रंग डालो भर पिचकारी ।
भक्त प्रहलाद की याद है लाई, सब ने अवगुणों की होली जलाई ।
अनबन रहे ना किसी के अन्दर, साफ करो मन बनाओ प्रेम के मन्दिर।
हो कर के इक तन-मन-प्राण, दूरी सारी मिटा दो आज ।
मिल कर आओ होली के बहाने , दुश्मन को हम गले लगालें ।
मौलिक एवं स्वरचित
प्रेम बजाज, जगाधरी ( यमुनानगर)
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